नरकोटा पुल हादसे में बैठाई गई जाँच का परिणाम और उस पर की गई कार्यवाही का पता नहीं है, जबकि इस घटना के बाद शासन की ओर से की गई कार्यवाही के तहत लोनिवि के मुख्यालय पर अटैच कर दिए गए राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर (गढ़वाल) के तत्कालीन अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा
को एक साल बाद ही निर्माण खंड, पुरोला में तैनाती दी गई है।

दून विनर/देहरादून। दो मजदूरों की जान लेने वाले नरकोटा पुल हादसे को हुए महज एक साल पूरा हुआ है। इस मामले में पुल का कार्य कर रही ठेकेदार कंपनी पर कार्यवाही का तो अखबारों/चैनलों में शुरुआत में पता चला किन्तु एक साल बाद किसी को ये पता नहीं है कि मामले में मुकदमे की कार्यवाही किस चरण में है और विभागीय अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी तय की गई या नहीं। यह जरूर ज्ञात है कि शासन की ओर से की गई तात्कालिक कार्यवाही के तहत लोनिवि राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर (गढ़वाल) के तत्कालीन अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा को देहरादून स्थित विभागाध्यक्ष कार्यालय से अटैच किया गया था और एक साल बाद अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा को नई जिम्मेदारी दी गई है। 25 जुलाई 2023 को शासन की ओर से 26 इंजीनियरों के तबादलों की सूची जारी की गई जिसके अनुसार अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा को निर्माण खंड लोक निर्माण विभाग, पुरोला में स्थानांतरित कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार रुद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर नरकोटा में 64 लाख रुपए की लागत से निर्माणाधीन पुल की शटरिंग गिरने की दुर्घटना 20 जुलाई 2022 को उस वक्त हुई जब इस पर मजदूर काम कर रहे थे।
इस हादसे में दो मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई और छह मजदूर घायल हुए थे। तत्काल कार्यवाही करते हुए प्रशासन ने ठेकेदार कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर और सहायक अभियंता समेत तीन व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। प्रोजेक्ट मैनेजर व सहायक अभियंता व अन्य को गिरफ्तार किया गया जबकि कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग के संबधित अभियंताओं को एफआइआर से बाहर रखा। शासन की तत्काल कार्यवाही के नाम पर जब कार्यदायी संस्था को बचाने के आरोप लगने लगे तब शासन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का डंडा घुमाया जिसके तहत राष्ट्रीय राजमार्ग खंड लोक निर्माण विभाग श्रीनगर के अधिशासी अभियन्ता बलराम मिश्रा को देहरादून स्थित पीडब्ल्यूडी मुख्यालय अटैच किया गया, जबकि इस मामले में सहायक अभियन्ता राजीव शर्मा और कनिष्ठ अभियन्ता रवि कोठियाल को प्रथम दृष्टया निर्माण कार्य में समुचित पर्यवेक्षण नहीं किए जाने की गंभीर लापरवाही की वजह से निलंबित किया गया। अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा की जगह रुद्रप्रयाग के अधिशासी अभियंता निर्भय सिंह को श्रीनगर लोनिवि का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था।
इंजीनियर बलराम मिश्रा को विभाग में बड़ी पहुँच वाला अधिकारी माना जाता है। हालांकि उनके अनुभव को भी कम नहीं कहा जा सकता परन्तु विवादों से भी उनका उतना ही नाता रहा है। दिसम्बर 2020 में राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, श्रीनगर में स्थानान्तरण से पूर्व बलराम मिश्रा अधिशासी अभियंता के पद पर लगभग ग्यारह माह एडीबी खंड, उत्तरकाशी में तैनात थे। उत्तरकाशी पोस्टिंग से पहले वे लगभग चार साल अस्थाई खंड, लोक निर्माण विभाग, ऋषिकेश में बतौर एक्सएन तैनात रहे। उत्तराखंड लोनिवि में अपनी अब तक की सेवा के दौरान अधिशासी अभियन्ता बलराम मिश्रा डेढ़ दशक के करीब पहाडी क्षेत्र के डिविजनों में अहम जिम्मा संभालते रहे।
अधिशासी अभियन्ता बलराम मिश्रा की अधिकांश समय पर्वतीय जगहों पर तैनाती उनकी विशेषज्ञता की वजह से होती रही है या प्रतिकूल कार्यवाही के तहत, ये तो विभाग के सर्वेसवा ही बता सकते हैं परन्तु कई मामलों में बलराम मिश्रा अरोपों के घेरे में आए हैं।
ऐसे ही एक मामले में जनपद चमोली में उड़ामाड़ा-रौता मोटर मार्ग में हुई अनियमितता के विरुद्ध शासन के पत्र संख्या-127/2(1)/15-02(6)/2015, दिनांक 31 जनवरी 2015 द्वारा अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा को निलंबित किया गया था। लगभग नौ माह तक वे निलंबित रहे। इसके साथ ही शासन को वित्तीय क्षति पहुँचाने के दृष्टिगत 75 हजार रुपए की धनराशि की वसूली बलराम मिश्रा के वेतन से करने के आदेश हुए। इस प्रकरण में बलराम मिश्रा के खिलाफ विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि की गई। इसके अलावा टिहरी-मुरादाबाद मोटर मार्ग में बीएम/एसडीबीसी द्वारा कराए गए नवीनीकरण कार्य में अनियमितता के लिए भी शासन स्तर से की गई कार्यवाही में बलराम मिश्रा को चेतावनी दी गई। यह प्रकरण सितम्बर 2016 में समाप्त हुआ। इसी तरह अस्थाई खंड, लोक निर्माण विभाग, ऋषिकेश में बतौर एक्सएन तैनाती के दौरान उनका एक चर्चित कारनामा रहा। यहाँ तक कि शासन स्तर से बलराम मिश्रा के खिलाफ बकायदा विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि के आदेश हुए। यह मामला राज्य योजना के अन्तर्गत देहरादून के हरिद्वार रोड पर धर्मपुर से रिस्पना पुल तक मोटर सड़क के चौड़ीकरण व दुरुस्तीकरण से जुड़ा था।
उल्लेखनीय है कि शासन के परीक्षणोपरांत त्रुटिपूर्ण करार दिए गए एस्टीमेट को स्वीकृति देने के लिए शासन पर अनुचित दबाव डलवाने के लिए कनिष्ठ अधिकारी के कंधे पर सवार होकर स्थानीय विधायक को ही झाँसे में लेने की कोशिश का आरोप एक्सएन बलराम मिश्रा पर लगा था। इस मामले में 5 अक्टूबर 2019 को लोक निर्माण विभाग के मुख्य सचिव के हस्ताक्षरों युक्त जारी आदेश के तहत अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा, अस्थाई खंड लोनिवि ऋषिकेश के खिलाफ विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि प्रदान की गई। 12 दिसम्बर 2019 को इसके लिए तैयार किए गए आलेख्य पर अपर मुख्य सचिव ने अनुमोदन प्रदान कर दिया। इसके ठीक 25 दिन बाद अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा का तबादला एडीबी खंड लोनिवि उत्तरकाशी कर दिया गया।
यहाँ सवाल उठता है कि गड़बड़ी, कार्य में लापरवाही व अनियमितता के आरोपों के सही पाए जाने के बाद लोनिवि ने कई अधिकारियों को पदावनत करने तक के आदेश जारी किए पर बलराम मिश्रा के मामले में अक्सर रवैया ढ़ीला क्यों रहा?