टिकट घोषित होने के बाद से ही भाजपा व कांग्रेस में असंतोष की लहर

टिकट घोषित होने के बाद से ही भाजपा व कांग्रेस में असंतोष की लहर

टिकट घोषित होने के बाद से ही भाजपा व कांग्रेस में असंतोष की लहर चल रही थी। दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने असंतोष को थामने के लिए रूठों को मनाने का सिलसिला भी शुरू किया। रविवार को भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत व केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट भी मैदान में उतरे। उन्होंने कई को मना भी लिया। वहीं कांग्रेस के चार असंतुष्ट मैदान में बने हुए हैं।

रविवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जागेश्वर, कपकोट, द्वाराहाट व रानीखेत का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने टिकट न मिलने से नाराज चल रहे जागेश्वर से सुभाष पांडे, कपकोट से पूर्व विधायक शेर सिंह गढिय़ा को मना लिया। हालांकि दोनों ने नामांकन नहीं कराया था। वहीं द्वाराहाट में नामांकन करा चुके कैलाश भट्ट व रानीखेत में नाराज कार्यकर्ताओं को भी सीएम ने मना लिया। कैलाश शनिवार को ही नामांकन वापसी की बात कह चुके थे।पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत रविवार शाम कालाढूंगी सीट से बगावत कर नामांकन करा चुके पूर्व दर्जाधारी गजराज बिष्ट के छड़ायल स्थित आवास पर पहुंचे। करीब ढाई घंटे तक बंद कमरे में चली बातचीत के दौरान लालकुआं से विधायक नवीन दुम्का भी मौजूद रहे। त्रिवेंद्र रावत ने बताया कि गजराज बिष्ट ने मेरा अनुरोध स्वीकार कर लिया है। वह हमारे वरिष्ठ साथी हैं। 31 जनवरी को वह अपना नामांकन वापस लेंगे।

लालकुआं में पवन चौहान और भीमताल में मनोज शाह बागी होकर चुनाव मैदान में डटे हुए है। दोनों ने नामांकन भी करा रखा है। रुद्रपुर सीट से टिकट कटने के बाद निर्दलीय नामांकन करा चुके विधायक राजकुमार ठुकराल को मनाने के लिए केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट पहुंचे। लेकिन ठुकराल से उनकी मुलाकात नहीं हुई। भट्ट ने कहा कि वह हमारे पुराने कार्यकर्ता हैं उम्मीद है कि मान जाएंगे। वहीं किच्छा सीट से निर्दलीय नामांकन करा चुके अजय तिवारी भी मैदान में बने हुए हैं।कांग्रेस में लालकुआं सीट पर संध्या डालाकोटी, रामनगर में संजय नेगी और किच्छा सीट पर पर हरीश पनेरू नामांकन के बाद से मैदान में डटे हुए हैं। वहीं सितारगंज सीट से नारायण पाल ने बसपा के टिकट पर नामांकन कराया है। लालकुआं में संध्या को मनाने के लिए पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी पहुंचे,लेकिन उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा है।

 

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