विधानसभा चुनाव में इस बार टिकट कटने से नाराज हुए अपने नौ विधायकों की मान-मनुहार में तो भाजपा सफल रही है, लेकिन इनके मन की टीस अभी गई नहीं है। ऐसे में अब चुनाव की दृष्टि से इन विधायकों को क्षेत्र में सक्रिय करने की पार्टी नेतृत्व के सामने चुनौती है। भाजपा ने इस दिशा में कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं। पार्टी के नेता लगातार इन विधायकों के संपर्क में हैं और निकट भविष्य में उन्हें नई जिम्मेदारी व उचित सम्मान देने का वास्ता भी दिया जा रहा है।
भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनाव में अपने 11 विधायकों के टिकट पर कैंची चला दी थी। इसके लिए विभिन्न सर्वे में और विधानसभा क्षेत्रों से मिले फीडबैक को आधार बनाया गया। टिकट कटने से आहत विधायकों के साथ ही उनके समर्थकों में नाराजगी के सुर भी उभरे। इस बीच जिन विधायकों के टिकट कटे, उनमें से एक ने पाला बदल कर लिया, जबकि दूसरे ने चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरने का एलान कर दिया। नाराज विधायकों को मनाने के लिए पार्टी ने तत्काल ही राजनीतिक आपदा प्रबंधन शुरू कर दिया था। प्रांतीय पदाधिकारियों के अलावा सांसदों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को इस काम में लगाया गया। पार्टी अपने नौ विधायकों को मनाने में सफल हो गई। अब जबकि, नामांकन प्रक्रिया अंतिम चरण में है तो चुनाव प्रचार के मद्देनजर इन विधायकों को सक्रिय करने की चुनौती भी भाजपा के सामने है।
ये बात सही है कि मान-मनुहार के बाद इन विधायकों के तेवर नरम पड़े हैं और उनके द्वारा पार्टी के पक्ष में प्रचार करने की बात भी कही जा रही है, लेकिन अभी तक वे खुलकर प्रचार में आगे नहीं आए हैं। इसे उनके मन में बरकरार टीस से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में पार्टी की चिंता भी बढ़ी है और अब उन्हें सक्रिय करने के लिए कसरत की जा रही है। इस क्रम में पार्टी के बड़े नेता उनसे निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं। देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में पार्टी की यह कसरत कितना रंग जमा पाती है।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, टिकट कटने पर नाराजगी का भाव स्वाभाविक है, लेकिन यह क्षणिक होता है। जिन नौ विधायकों के टिकट कटे वे सभी पार्टी के जिम्मेदार कार्यकर्त्ता हैं, जिन्हें जाना था, वे जा चुके हैं। अब पार्टी के किसी भी विधायक में नाराजगी का कोई भाव नहीं है। सभी पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार में जुटकर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने को जुटेंगे।