चुनाव आयोग की सख्ती के बाद भी कुछ लोग दूसरे के मत डाल गए। वास्तविक मतदाता जब मतदान के लिए बूथ पर पहुंचे, तब उन्हें इसका पता चला। बाद में उन्होंने टेंडर वोट दिए। इस बार जिले में ऐसे 44 टेंडर वोट पड़े हैं। इसमें काशीपुर व बाजपुर में 21-21 और सितारगंज में दो मामले शामिल हैं।जब कोई व्यक्ति अन्य दस्तावेज दिखाकर दूसरे का मत डाल देता है तो वास्तविक मतदाता इसकी आपत्ति जताता है। पीठासीन अधिकारी उसके कागजात की जांच करते हैं, सही साबित होने पर उसे टेंडर वोट का अधिकार दिया जाता है।
मतगणना के दौरान जब दो प्रत्याशियों को बराबर मत मिलते हैं तो दो बार काउंङ्क्षटग कराई जाती है। इसके बाद भी मत बराबर होते हैं तो टेंडर मत की गिनती होती है। हालांकि अभी तक किसी भी चुनाव में टेंडर मतों की गिनती की नौबत नहीं आ पाई है।
विधानसभा चुनाव में जिले की किसी भी सीट पर महिला व पुरुष का शत-प्रतिशत मतदान नहीं हो सका है। मगर नानकमत्ता में थर्ड जेंडर ने इस मामले में मिसाल पेश की है। जिले में 40 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। इनके 14 मत पड़े हैं, जो कुल मत का 35 प्रतिशत है। जसपुर में छह में से एक, काशीपुर में आठ में से दो, बाजपुर में चार में से एक, गदरपुर में दो में से एक, रुद्रपुर में छह में से एक, किच्छा में चार में से दो, सितारगंज में तीन में से दो, नानकमत्ता में दो में से दो व खटीमा में पांच में से दो मत पड़े हैं।