राजकुमार केसरवानी/हल्द्वानी। महानगर महिला कांग्रेस अध्यक्ष मधु सांगूड़ी ने मीडिया को जारी वक्तव्य में कहा कि उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार एक तरफ महिला सशक्तीकरण की बात करती है, महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने की बात करती है वहीं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय से स्वरोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण पोषाहार राशन योजना के तहत वितरित की जाने वाले राशन को अब भारत सरकार के स्वामित्व वाले संस्थान एन.सी.सी.एफ. के माध्यम से वितरित किये जाने की योजना बनाई जा रही है। जो कि महिला स्वयं सहायता समूहों के अस्तित्व पर सीधा प्रहार है।
उत्तराखण्ड राज्य में संचालित लगभग 10 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा वर्ष 2013 से राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधीन आंगनबाडी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं एवं 6 माह से 3 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को पौष्टिक आहार वितरण कराने का कार्य किया जा रहा है। इस योजना से प्रदेशभर के लगभग 9 लाख लोग लाभान्वित हो रहे है तथा टी.एच.आर. योजना से 2 लाख महिलायें जुडी हुई हैं।
उत्तराखण्ड राज्य महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री जो स्वयं एक महिला है के द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों से टी.एच.आर. का कार्य छीनकर ई-टेंडरिंग के माध्यम से बडे ठेकेदारों को यह कार्य सौंपे जाने के लिए निविदायें जारी कर दी गई थी।
जिसके विरूद्ध राज्य के महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा आन्दोलन करने के साथ ही उच्च न्यायालय की शरण ली गई। 25 नवम्बर 2021 को उच्च न्यायालय द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों के पक्ष में निर्णय देते हुए यथा स्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये गये जिसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा टी.एच.आर. का भुगतान रोक कर महिला स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
महानगर महिला कांग्रेस अध्यक्ष मधु सांगूड़ी ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा टेक होम राशन की टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी और साथ ही साथ उच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए राज्य की भाजपा सरकार से जवाब मांगा कि आखिर स्वयं सहायता समूह को इस टेंडर प्रक्रिया से दूर रखने की साजिश क्यों की गई। 2021 में करीब 40,000 से ज्यादा महिलाओं के स्वरोजगार पर इस टेंडर प्रणाली के चलते खतरा मंडरा रहा था परन्तु हाईकोर्ट के आदेश से स्वयं सहायता समूह को थोड़ी राहत मिली थी। इसके लिए उच्च न्यायालय का हार्दिक आभार।
नवम्बर 2022 में राज्य सरकार द्वारा टेकहोम योजना को यह कहते हुए बंद कर दिया गया कि भारत सरकार के आदेशों का पालन किया गया है। जो कि उत्तराखंड की महिलाओं और बच्चो के साथ अन्याय है।
अब एक बार फिर से राज्य सरकार द्वारा बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाये हुए 250 करोड़ का ठेका भारत सरकार की ऐजेंसी एन.सी.सी.एफ. को देने के लिए मंत्रिमण्डल में प्रस्ताव पास करने की योजना बनाई है। जबकि इसी कार्य के लिए दो अन्य संस्थानों क्रमशः नैफेड एवं केन्द्रीय भंडारण से भी आवेदन मांगे गये थे परन्तु बिचार केवल एनसीसीएफ को टेंडर देने पर हुआ है। यह भी ज्ञातव्य हो कि उत्तराखण्ड के अलावा अन्य राज्यों में नैफेड द्वारा स्थानीय स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सरकार की महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने की बात महज एक दिखावा है। यदि सरकार ने अन्य राज्यों की भांति महिला स्वयं सहायता समूहों का सहयोग नहीं लिया गया तो महिला कांग्रेस राज्य सरकार की इस महिला विरोधी नीतियों के विरोध में पूरे राज्य में आन्दोलन करेगी।
इस दौरान भागीरथी बिष्ट, शोभा बिष्ट, शशि वर्मा, रत्ना श्रीवास्तव, पुष्पा नेगी, जया पाठक, मीमांशा आर्य, नीलू नेगी, लता पांडे, माया वर्मा, मुन्नी पंत ने कहा कि आगामी 30 सितंबर को हल्द्वानी में आयोजित जन आक्रोश रैली के माध्यम से महिला कांग्रेस, महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में मजबूती से महिलाओं संग सड़क पर उतर कर महिलाओं पर अत्याचार, बलात्कर और उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर कड़ा विरोध प्रदर्शन करेगी।