मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा उठाकर उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचाने वाले नेता व कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष आकिल अहमद ने कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के बयानों पर पलटवार किया है।आकिल अहमद ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और रंजीत रावत के बयान पर पलटवार किया। कहा कि बड़े शर्म की बात है कि प्रदेश अध्यक्ष का यह कहना कि उन्हें नहीं पता कि आकिल को किसने उपाध्यक्ष बनाया और उनके आफिस से किसने लेटर जारी किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि पूर्व प्रदेशा अध्यक्ष यह बात प्रदेश के प्रभारी देवेंद्र यादव और पार्टी पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश से पूछते कि उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष का पत्र किसने दिया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के बड़े नेता अपनी हार की गलतियों को छिपाने के लिए और गलत तरीके से किए गए टिकट वितरण मिली हार से बचने के लिए ठीकरा एक समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ता पर फोड़ रहे हैं।कहा कि तीन बार पैनल में नाम होने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं दिया गया, तब भी उन्होंने आला नेताओं के कहने से कभी पार्टी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ा और प्रदेश में हमेशा भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने का काम किया। उन्होंने कहा कि कुछ नेता उनके मुस्लिम यूनिवर्सिटी के दिए गए बयान को साजिश करार दे रहे हैं। वह इसके लिए हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं। यदि उनके उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर पार्टी को संजीवनी मिलती है तो वह पार्टी हित में हर समय तैयार हैं।
देहरादून जिले की सहसपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेता आकिल अहमद ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की। इस मांग करने के बाद आकिल को प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष पद का जिम्मा दे दिया गया। हालांकि कांग्रेस और उसके सभी दिग्गज नेताओं ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग को ही खारिज कर दिया। भाजपा ने देवभूमि उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग को चुनाव में बड़ा मुद्दा बना दिया। हार के बाद कांग्रेस के भीतर भी इस मुद्दे को किसी भी स्तर पर रखे जाने पर अब सवाल किए जा रहे हैं।