पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना बंद होने से करोड़ों गरीबों की बढेगी मुश्किल

पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना बंद होने से करोड़ों गरीबों की बढेगी मुश्किल

दून विनर /देहरादून। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को कोविड महामारी में अप्रैल 2020 में शुरू किया गया था। इसे दिसम्बर 2022 से आगे नहीं बढाया गया है। पीएमजीकेएवाई के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के अन्तर्गत आच्छादित 81.35 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज (चावल/गेहूं) प्रति व्यक्ति प्रतिमाह के हिसाब से मुफ्त दिया गया। अप्रैल-जून 2020 के पहले चरण से लेकर 31 दिसम्बर 2022 तक इस स्कीम के कुल 7 चरण हो चुके हैं।
  जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से केंद्र सरकार ने गरीबों को 3.90 लाख करोड़ रुपए का मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया है। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना की समय सीमा 31 दिसंबर को खत्म हो चुकी है, अब इसे बंद कर दिया गया है। इसके बदले केन्द्र सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत उपभोक्ताओं को वर्ष 2023 के दौरान मुफ्त राशन वितरित किया जाएगा। ध्यान देने वाली बात ये है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 81.35 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह 2 रुपए प्रति किलो की दर पर गेहूं और 3 रुपए प्रति किलो की दर पर चावल उपलब्ध कराया जाता है, जबकि इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में प्रति माह प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज मुफ्त वितरित किया गया था।
अब पीएमजीकेएवाई बन्द होने के बाद केवल एनएफएसए के तहत आवंटित राशन ही मिलेगा। इसका मतलब ये है कि एनएफएसए के तहत राशन मुफ्त किए जाने के बाद एक व्यक्ति के 15 रुपए प्रतिमाह बचेंगे, परन्तु इसी के साथ 5 किलो फ्री राशन बंद होने से उसे कई ज्यादा खर्चा राशन की पूर्ति के लिए करना होगा। यह स्थिति देश के करोड़ों गरीबों के लिए कठिनाई बढाने वाली है।
पीएमजीकेएवाई के प्रभाव के आकलन के बारे में हाल ही में एसबीआइ इकोरैप की एक शोध रिपोर्ट में बताया गया कि कोरोना महामारी के दौरान खाद्यान्न के मुफ्त वितरण से पिछड़े प्रदेशों और सबसे निचले पायदान वाले राज्यों में आय असमानता में भारी कमी आई है। एसबीआइ की रिपोर्ट कहती है, ‘‘हमारे नतीजे बताते हैं कि धन के असमान वितरण वाले अलग-अलग आबादी वाले समूहों में चावल और गेहूं की खरीद ने अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में गिनी गुणांक में कमी के जरिये आय असानता को कम करने में उल्लेखनीय प्रभाव डाला है।’’ एसबीआइ के अध्ययन में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंची खरीद से मुफ्त अनाज वितरण के जरिये गरीब में अत्यंत गरीबों को फायदा मिल रहा है।

अब सवाल ये उठता है कि पीएमजीकेएवाई के तहत मिलने वाला राशन बंद होने के बाद इससे हुए फायदे को बनाए रखने के लिए वैकल्पिक योजना क्या होगी? हालांकि कई जानकारों का कहना है कि सरकार पीएमजीकेएवाई को आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 तक जारी रख सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह स्कीम मार्च 2023 तक बढ़ाई जाती है तो करीब 68 लाख टन अधिक गेंहू की जरूरत होगी।
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