उत्तर रेलवे द्वारा उपलब्ध करायी गई सूचना से खुलासा: रेल लाइनों के हुए 25 से अधिक सर्वे, दो पर कार्य की मंजूरी

उत्तर रेलवे द्वारा उपलब्ध करायी गई सूचना से खुलासा: रेल लाइनों के हुए 25 से अधिक सर्वे, दो पर कार्य की मंजूरी

उत्तर रेलवे द्वारा उपलब्ध करायी गई सूचना से खुलासा हुआ है कि वर्ष 1965 के सबसे पुराने देहरादून-डाकपत्थर-कालसी रेल लाइन सर्वे समेत उत्तराखंड में कुल दो दर्जन सर्वे कराए गए जबकि अब तक कार्य मात्र दो रेल लाइन परियोजनाओं पर ही स्वीकृत है।
दून विनर/संवाददाता/देहरादून।
वर्ष 2022 तक उत्तराखंड में नई रेलवे लाइनों के काशीपुर-धामपुर रेल लाइन सहित 25 से अधिक सर्वे हुुए लेकिन कार्य केवल दो रेल लाइन परियोजनाओें पर ही स्वीकृत किया गया है। सर्वे में पूर्वोत्तर रेलवे की टनकपुर-बागेश्वर तथा खटीमा-किच्छा रेल लाइन तथा उत्तर रेलवे के अन्तर्गत 25 रेल लाइनो के सर्वे शामिल हैं। इसमें कई रेल लाइनों के तो कई-कई बार सर्वे हुए हैं। जिन रेल परियोजनाओं पर कार्य स्वीकृृत हुआ है उनमें चारधाम रेल परियोजना तथा ऋषिकेश-कर्णप्र्रयाग रेल लाइन शामिल हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने रेल मंत्रालय से उत्तराखंड की नई रेल लाइनो के सम्बन्ध में सूचनाएं मांगी जिसके उत्तर में रेलवे बोर्ड तथा उत्तर रेलवे ने ये सूचना उपलब्ध कराई है।
उत्तर रेलवे उपमुख्य अभियंता (सर्वे एवं निर्माण) ने अपने पत्रांक 135 से उत्तराखंड की रेल लाइनों के सर्वे की सूची उपलब्ध कराई है। उत्तर रेलवे के अन्तर्गत नई रेल लाइनों के उत्तराखंड की सूची में 25 रेल लाइनों के सर्वे शामिल है।उपलब्ध सूचना के अनुसार काशीपुर-धामपुर की 58 किमी. की रेल लाइन का सर्वे फरवरी 2020 में पूर्ण किया गया है। इस प्रोजेक्ट की लागत 1280.74 करोड़ रुपए है। इससे पूर्व 2013 में भी इसका सर्वे किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त इसी क्षेत्र में नगीना-अफजलगढ़- ठाकुरद्वारा-काशीपुुर की 75 किमी लम्बी रेल लाइन के सर्वे की रिपोर्ट मार्च 2019 में रेलवे बोर्ड को प्र्रस्तुत की गई है। इससे पूर्व 1987 में धामपुर-अफजलगढ़-कालागढ़ तथा अफजलगढ़ अलीगंज की 80 किमी. रेल लाइन का सर्वे किया गया है।
आरटीआइ में दी गई रेल लाइन सर्वे की उपलब्ध सूची में सबसे पुराना सर्वे 1965 का है। जुलाई 1965 में देहरादून-डाक पत्थर-कालसी की 34 किमी की रेल लाइन के सर्वे की रिपोर्ट सौंपी गई। इसके अतिरिक्त देहरादून जिले व पर्वतीय क्षेत्रों को जोड़ने वाली रेल लाइनों के सर्वे में 6 किमी. हर्रावाला साइडिंग (सर्वे वर्ष 1982), 125 किमी की ऋषिकेश-कर्णप्र्र्रयाग (सर्वे वर्ष 2009 तथा 2020), 19 किमी ऋषिकेश-देहरादून(वर्ष 2000), ऋषिकेश-डोईवाला (2004, 2010, 2013 तथा 2016), 83 किमी देहरादून-उत्तरकाशी (2017), 327 किमी. लम्बी चार धाम यात्रा रेल परियोजना (सर्वे रिपोर्ट वर्ष 2015), 28 किमी कर्णप्र्रयाग-चमोली (2004) शामिल हैं। हरिद्वार व नैनीताल जिले को जोड़ने वाली रेल लाइनों के सर्वे में 147 किमी हरिद्वार-कोटद्वार-रामनगर (2002 तथा 2011), 22 किमी पिरान कलियर-हरिद्वार (2011), 91 किमी पिरवानी-कलसी (2016) शामिल हैं।
उत्तराखंड में अन्य प्रदेशों से जोड़ने वाली रेल लाइनों में मुजफ्फरनगर-हरिद्वार-देवबंद-रुड़की तथा डन्ढैरा-ज्वालापुर की 51 किमी रेललाइन का सर्वे 2006 में, नजीबाबाद-कोटद्वार के बीच 24 किमी की रेल लाइन का सर्वे 2015 में, पंजाब-हिमाचल-हरियाणा-उत्तराखंड को जोड़ने वाली धनौल्टी-देहरादून के बीच 216 किमी रेल लाइन का सर्वे अक्टूबर 2011 में पूर्ण किया गया। देहरादून-सहारनपुर के बीच 81 किमी की रेल लाइन का सर्वे नवम्बर 2017 में किया गया जबकि इससे पूर्व इसका सर्वे 1997 में किया गया था।
रेल लाइनों के दोहरीकरण के भी विभिन्न सर्वे किए गए हैं। इसमें 2016 में लक्सर-हरिद्वार-देहरादून, 2019 में हरिद्वार-देहरादून, 2021 में हरिद्वार-रायवाला तथा 2022 में रायवाला-ऋषिकेश रेल लाइन सर्वे शामिल हैं।
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