दून विनर देहरादून। जहां तक ओपिनियन पोल की बात है इन पर अक्सर यह आरोप लगता है कि ओपिनियन पोल का सैम्पल साइज बेहद छोटा रहता है। उत्तराखंड में 70 विधानसभा क्षेत्रों में 75 लाख के करीब पंजीकृत मतदाता हैं और इसमें से 2, 4 या 10 हजार का सैम्पल साइज बहुत छोटा है। इसके साथ ही ओपिनियन पोल में भाग लेने वाले उत्तरदाताओं के आर्थिक व सामाजिक, ग्रामीण व शहरी पृष्ठभूमि तथा शिक्षा, लिंग और आयु वर्ग की विभिन्नताओं को नजरअंदाज कर सैम्पल साइज को निर्धारित करने से भी सर्वे के परिणामों को विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है।
सर्वे करने वाली एजेंसियां प्राय: इन तथ्यों को लेकर पब्लिक डोमेन में गोपनीयता रखती हैं।
राजनैतिक दलों द्वारा प्रायोजित सर्वे भी होते रहते हैं। इनके परिणामों का उपयोग प्रायोजक के मंतव्य पर निर्भर रहता है। पक्ष में सर्वे के परिणाम न आने पर उसे सार्वजनिक करने से रोका जाता है, पर प्रायोजक को सभी डेटा उपलब्ध रहते हैं। सर्वे के परिणामों और वास्तविक परिणामों में कई बार चौंकाने वाली भिन्नता दिखाई देती है, इसके लिए पिछले विधानसभा चुनाव से पहले आए ओपिनियन पोल को देखना जरूरी है।
चुनावों की घोषणा से पहले जनवरी 2017 में जो ओपिनियन पोल आए थे, उनमें ये साफ बताया गया कि भाजपा की जीत होने जा रही है, पर सीटों के मामले में वह कांग्रेस को विशाल अंतर से लुढ़काएगी यह ओपिनियन पोल नहीं बता सका।
चुनावों की घोषणा से पहले जनवरी 2017 में जो ओपिनियन पोल आए थे, उनमें ये साफ बताया गया कि भाजपा की जीत होने जा रही है, पर सीटों के मामले में वह कांग्रेस को विशाल अंतर से लुढ़काएगी यह ओपिनियन पोल नहीं बता सका।
कांग्रेस को बड़े नुकसान का कोई पूर्व अनुमान नहीं लगा पाया था। बल्कि 5 जनवरी 2017 को आए उत्तराखंड पोस्ट के ओपनियन पोल में कांग्रेस को ठीक बहुमत के आंकड़े पर और भाजपा को उससे 7 सीटें कम मिलने की भविष्यवाणी की गई थी। चुनावों से 5-6 माह पहले के सर्वे भी पब्लिक डोमेन में मौजूद हैं। उत्तराखंड में वर्ष 2016 में अगस्त में एबीपी-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल ने बताया गया कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40 प्रतिशत मत के साथ 34-43 सीटें मिल रही हैं। कांग्रेस को 33 प्रतिशत मतों के साथ 22-30 सीटें। इंडिया टुडे-एक्सिस का ओपिनियन सर्वे अक्टूबर 2016 में बताता है कि भाजपा को 41-46 सीटें मिल रही हैं, कांग्रेस को 18-23 सीटें तो वहीं अन्य के हिस्से 2-6 सीटें जाती बताई गई। जुलाई 2016 में वीडीपी एसोसिएट के ओपिनियन पोल बताते हैं कि 70 सीटों में से भाजपा को 40 व कांग्रेस को 24 सीटें मिलने की संभावना है। यहां सर्वे भाजपा को बढत बताते हैं और कांग्रेस की सत्ता से दूरी को दिखाते हैं जो वास्तविक परिणामों की दिशा है पर ओपिनियन पोल ये नहीें बता पा रहे हैं कि कांग्रेस की सीटें कम होकर 10 के आस-पास हो जाएंगी। सर्वे की सबसे करीबी भविष्यवाणी से भी कांग्रेस की करीब 10-12 सीटें कम हो गई जो भाजपा के हिस्से में बढ़ गई।
ओपिनियन पोल इसे नहीं पकड़ सका। इस बारे में यह एक सच्चाई है कि मतदान का दिन करीब आते-आते राजनैतिक दलों में टूटन, बड़ी संख्या में दल-बदल, आपसी गुटबाजी तेज होना, कोई बड़ा घटनाक्रम, प्रचार, अफवाह और धनबल मतदाताओं के निर्णय को प्रभावित करते रहते हैं जिससे परिणामों में परिवर्तन आना अवश्यम्भावी है।
जब मतदाता वोट देकर आता है तब उनके बीच एक्जिट पोल किया जाता है। इसे समय काल की दृष्टि से ओपिनियन पोल के मुकाबले कई ज्यादा सटीक भविष्यवाणी के तौर पर देखा जाता है।
उत्तराखंड में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के बारे में हुए एग्जिट पोल के परिणामों को भी देखना जरूरी है। सी-वोटर ने भाजपा को 29-35, कांग्रेस को 32 व अन्य को 5 सीटें दिखाई। सीएसडीएस ने भाजपा की 34-42 सीटें, कांग्रेस की 23-29 सीटें और अन्य के खाते 3-9 सीटें बताई थी। वास्तविक चुनाव परिणामों का इन नतीजों से कहीं मेल नहीं है। इसी बारे में टुडे्स-चाणक्य ने भाजपा के हिस्से 53, कांग्रेस के खाते 15 व अन्य के हिस्से 2 सीटों की जीत दिखाई, जो वास्तविक परिणामों के नजदीक है। एक्सिस ने भी भाजपा के खाते 46-53, कांग्रेस के हिस्से 12-21 और अन्य के खाते में 2-6 सीटें मिलती हुई बताईं। हालांकि ये नतीजे काफी परास लिए हुए हैं, पर फिर भी वास्तविक परिणाम की ओर इशारा कर रहे हैें।
कुल मिलाकर देखें तो ज्यातातर एग्जिट पोलों की भविष्यवाणी भी चुनाव परिणामों से कतई मेल नहीं खाती। ऐसे में यह माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों को लेकर आ रहे ओपिनियन पोल की भविष्यवाणी में खतरे साफ हैं।