पूर्व सीएम एनडी तिवारी ने रामनगर से अंतिम चुनाव लड़ा था। उनका राजनीतिक कद इतना बड़ा था कि बिना प्रचार और जनसंपर्क के ही वह भारी मतों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसे आज भी रामनगर की राजनीति में याद किया जाता है।उत्तराखंड नौ नवंबर 2000 को भारत के 27 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था। तब राज्य में भाजपा की अंतरिम सरकार बनाई गई। वर्ष 2002 में चुनाव से उत्तराखंड में पहली राज्य सरकार का गठन हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस के योगम्बर रावत भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट से 4915 मतों से चुनाव जीत गए थे। कांग्रेस को सत्ता में बहुमत मिलने पर वरिष्ठ नेता एनडी तिवारी को सीएम बनाया गया।
छह माह बाद उपचुनाव के लिए योगम्बर रावत ने इस्तीफा देकर रामनगर सीट एनडी तिवारी के उपचुनाव लड़ने के लिए छोड़ दी। तिवारी ने रामनगर में जनसभा की। इसके बाद नामाकंन पत्र दाखिल किया।नामाकंन दाखिल करने के बाद तिवारी फिर रामनगर में प्रचार व जनसंपर्क करने नहीं आए। रामनगर में कांगे्रस नेताओं व कार्यकर्ताओं ने ही उन्हें चुनाव लड़ाने की कमान संभाली रही। तिवारी को 32913 व भाजपा प्रत्याशी राम सिंह बिष्ट को 9693 मत मिले थे। तिवारी ने यह चुनाव 23220 मतों से जीता था। कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता अनिल अग्रवाल बताते हैं कि तिवारी नामांकन भरने के बाद रामनगर से चले गए थे। फिर वे जीतने के बाद ही रामनगर आए थे। वीआईपी सीट होने पर यहां काफी विकास कार्य तिवारी के कार्यकाल में हुए।