विवादास्पद बयानों से भरा रहा सीएम तीरथ रावत का 114 दिनों का कार्यकाल

विवादास्पद बयानों से भरा रहा सीएम तीरथ रावत का 114 दिनों का कार्यकाल

दून विनर /संवाददाता
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में भाजपा की सरकारों के अब तक के कुल 11 साल के शासन में प्रदेश को मिले 8 मुख्यमंत्रियों में निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को मात्र 114 दिनों तक ही सीएम की गद्दी नसीब हुई। वे उत्तराखंड के पिछले 21 सालों के राजनैतिक इतिहास में सबसे कम अवधि के मुख्यमंत्री साबित हुए हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव के बाद गठित भाजपा सरकार के चार साल पूरे होने के कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री पद से हटाए गए त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जगह 10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के 10 वें मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली और 2 जुलाई 2021 को उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। खास बात ये रही कि सदन में बिना प्रवेश किए ही उनके सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजा तो सदन में प्रवेश किए बिना ही पार्टी हाईकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से रुखसत कर दिया। वे मौजूदा लोकसभा में पौड़ी गढवाल संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बतौर मुख्यमंत्री अल्प अवधि में तीरथ सिंह रावत ने राज्य सरकार के अधीन विभिन्न विभागों में रिक्त बताए गए 22 हजार पदों पर जल्दी नियुक्तियां करने सहित पर्वतीय क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने का लक्ष्य तो घोषित किया पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के 3 सप्ताह के भीतर ही शुरू हुए हरिद्वार कुंभ में कोरोना संक्रमण पर लगाम कसने को लेकर उनकी सरकार की रणनीति सवालों के घेरे में रही। सीएम की कुर्सी संभालने के बाद हरिद्वार पहुंचकर उन्होंने बयान दिया कि कुंभ 12 साल बाद आता है, अगर इसमें भी इतनी सख्ती होगी तो कैसे चलेगा। उन्होंने यहां तक कहा कि कोई आरटीपीसीआर जांच नहीं होगी, जिसे आना है जी भरकर कुंभ में आकर स्नान करे। उनके इस बयान को लेकर खूब चर्चाएं हुईं थी। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इसे जोखिम भरा कदम करार दिया था। इसी दौरान ठेके पर काम कर रही निजी पैथोलॉजी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए फर्जी कोविड टेस्टिंग का मामला भी सामने आया।
सच तो ये है कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए तीरथ सिंह रावत के बयानों से अक्सर विवाद होते रहे। विपक्षी पार्टियों समेत विभिन्न संगठनों ने उनके जींस और फिर शॉर्ट्स से संबंधित बयान की जमकर आलोचना की थी।

महिला सांसद ने राज्यसभा में भी ये मुद्दा उठाया। इस बयान से मचे बवाल के चलते मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ट्विटर और फेसबुक पर कई दिन तक टॉप ट्रेंड में रहे थे। फेसबुक पर भी हैशटैग रिप्ड जींस, रिप्ड पैंट, रिप्ड बॉडी और तीरथ सिंह रावत ट्रेंड में रहे थे।
उन्होंने हरिद्वार में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि मोदी का चमत्कार है, आने वाले समय में लोग नरेंद्र मोदी को भगवान मानने लगेंगे।
रामनगर में एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान उनकी जुबान ऐसी फिसली कि ब्रिटेन की जगह अमेरिका को 200 से ज्यादा सालों तक भारत पर गुलामी लादने वाला बता दिया। उनका 20 बच्चे पैदा करने वाला बयान भी विवादास्पद रहा। रामनगर में ही तीरथ ने कहा कि ’लोगों में सरकार द्वारा बांटे गए चावल को लेकर जलन भी होने लगी कि दो सदस्यों वालों को 10 किलो जबकि 20 सदस्य वालों को एक क्विंटल अनाज क्यों दिया गया ?‘

उन्होंने कहा कि ‘भैया इसमें दोष किसका है, उसने 20 पैदा किए, आपने दो किए, तो उसको एक क्विंटल मिल रहा है, इसमें जलन काहे का।’ एक तरफ तीरथ के बयानों से विवाद होते रहे वहीं दूसरी ओर छह महीने के भीतर उनके सदन की सदस्यता हासिल करने की अनिवार्यता थी। उन्हें 9 सितम्बर तक विधानसभा की सदस्यता लेनी थी। इसे लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने तर्क दिया कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत विधानसभा में निर्वाचित नहीं हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के छह महीने के अंदर ही उन्हें सदन की सदस्यता हर हाल में लेनी होगी। नवप्रभात के अुनसार, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 151 ए के तहत सरकार के एक साल के कम कार्यकाल की स्थिति में उपचुनाव नहीं किया जा सकता है। ऐसे में तीरथ सिंह रावत का नौ सितंबर के बाद मुख्यमंत्री पद पर बने रहना मुश्किल होगा। हालांकि इसी दौरान सल्ट उपचुनाव हुआ पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत मैदान में नहीं उतरे। उनके चुनाव लड़ने पर संशय बना रहा।

आखिरकार उन्हें दिल्ली से हाईकमान का बुलावा आया और वहां से लौटने के बाद उन्होंने अपना त्यागपत्र दे दिया। प्रदेश में अल्प समय के मुख्यमंत्री के तौर पर उनके बाद पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी का रिकॉर्ड है। कोश्यारी को उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी की जगह 30 अक्टूबर 2001 को भाजपा की अंतरिम सरकार की कमान दी गई और विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्हें पहली मार्च 2002 को मुख्यमंत्री के पद से विदा होना पड़ा। एक गणना के अनुसार 1962 से 2021 के बीच देश के 20 राज्यों में 44 मौके ऐसे रहे जब किसी सीएम का कार्यकल 114 दिनों से कम रहा।

पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह का जन्म 9 अप्रैल 1964 को पौड़ी गढ़वाल में हुआ। वर्तमान में वे पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद हैं। इससे पहले साल 2012-2017 में चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। वे प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। वे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी बनाए गए। उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल के बिरला कॉलेज से समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट और पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद तीरथ आरएसएस के साथ बतौर सामाजिक कार्यकर्ता जुड़ गए।

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