दून विनर /संवाददाता
फरवरी 2022 में हो रहे उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भले ही गोदी मीडिया अभी भी भाजपा के जीत के कयास बढा-चढा कर लगा रहा हो पर हकीकत इससे अलग है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए 70 सीटों में से 57 सीटों पर जीत का परचम लहराया। भाजपा को कुल वैलिड मतों का 46.51 फीसदी वोट मिला। वहीं प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस को केवल 11 सीटों पर जीत मिली और उसका वोट शेयर 33.49 फीसदी रहा था।
भाजपा को कांग्रेस से करीब 13 फीसदी मत अधिक मिला। परन्तु सच्चाई ये है कि भाजपा के अपने मतों में पिछले चुनाव के प्रदर्शन के मुकाबले भी करीब 13 प्रतिशत का यह उछाल भी कांग्रेस के वोट शेयर को मामूली सा नुकसान पहुंचा सका। विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस का मत प्रतिशत 33.79 रहा और भाजपा को 33.13 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। इसके मुकाबले 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के मतों में केवल 0.30 फीसदी की कमी हुई।
माना जाता है कि वर्ष 2017 के चुनाव में मोदी लहर में कांग्रेस का किला बिखर गया था। हकीकत में उस कथित लहर में भी कांग्रेस का वोट आधार हिला नहीं। इसके विपरीत भाजपा ने बहुजन समाज पार्टी, निर्दलीय, समाजवादी पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल के वोट शेयर में जबर्दस्त सेंध लगाई। सबसे ज्यादा नुकसान बहुजन समाज पार्टी को हुआ जिसके मत प्रतिशत में वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले 5 फीसदी से अधिक की कमी हो गई थी। निर्दलियों के वोट अंश में भी 2 प्रतिशत से अधिक की कमी हुई। वहीं समाजवादी पार्टी और यूकेडी दोनों के वोट शेयर भी एक फीसदी गिर गए।
भाजपा के वोटों में आए उछाल की बड़ी वजह पहाड़ी क्षेत्र के साथ ओबीसी और एससी वर्ग में पार्टी को मिला नया समर्थक तबका रहा न कि कांग्रेस के वोट आधार में बिखराव। अब सवाल ये है कि क्या इस बार भी भाजपा को ओबीसी, एससी वर्ग से मिला समर्थन बरकरार रह पाएगा या नहीं ?
अगर यह मतदाता वर्ग भाजपा से दूरी बनाकर अपने पुराने
राजनैतिक दलों की ओर जाता है तब भाजपा को आने वाले चुनाव में पिछले प्रदर्शन को दोहराना तो दूर जीत के जादुई आंकड़े तक भी पहुचना आसान नहीं रहेगा। इसीलिए उत्तराखंड में चुनाव का ऊंट किस करवट बैठेगा इस बारे में अनिश्चितता आखिरी तक बरकरार रहेगी। बेहद रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है।
राजनैतिक दलों की ओर जाता है तब भाजपा को आने वाले चुनाव में पिछले प्रदर्शन को दोहराना तो दूर जीत के जादुई आंकड़े तक भी पहुचना आसान नहीं रहेगा। इसीलिए उत्तराखंड में चुनाव का ऊंट किस करवट बैठेगा इस बारे में अनिश्चितता आखिरी तक बरकरार रहेगी। बेहद रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है।