माँ से मिलती ममता। तो पिता से मिलती जीवन जीने की अनमोल क्षमता॥
माँ भूल जाती लालन-पालन में अपना दु:ख। तो पिता भी दिन-रात के कालचक्र में छोड़ देता अपना सुख॥
माँ का एहसास हमेशा हमें नजदीक महसूस होता है, उसकी ममता एवं कोमलता हमें बहुत प्रभावित करती है, परंतु पिता के संरक्षण एवं सुरक्षा का क्या? धन संग्रह एवं जरूरतों को पूरा करने में खर्च होने वाला पिता सदैव मौन रहकर व्यवस्थाओं के समुचित संचालन में प्रयासरत रहता है। उसकी दूरगामी चिंताओं का आकलन शायद कोई नहीं कर पाता। कई बार जीवन-यापन को बेहतर बनाने की दिशा में पिता को बच्चों के साथ समय व्यतीत करने का समय भी कम उपलब्ध हो पाता है। इसके पश्चात भी उसके चेहरे पर शिकन की कोई रेखा नहीं होती। वह अपने बच्चों की मीठी सी मुस्कान में पूरे दिन का दर्द भूल जाता है। उसका लक्ष्य केवल परिवार की खुशियों को पूर्णता की ओर ले जाना होता है।
माँ के होते है हम दुलारे और प्यारे। पर जीवन की संघर्ष यात्रा होती पिता के सहारे॥
माँ है जीवन का एक किनारा। तो पिता भी सुधारता हर दम हमारी गलतियों का पिटारा॥
माँ का भोलापन एवं उसकी सरलता तो हमारे दिलों को छु जाती है, परंतु पिता की कठोरता के पीछे छुपी मंशा हम समझने में असमर्थ रहते है। वह पिता भी उस बचपन के दौर से गुजरा है। वह भी जानता है कि बच्चे को सरलता प्रियकर है पर उसकी कठोरता सदैव बच्चे को सक्षम एवं समर्थ बनाने की दिशा प्रदान करती है। हम अक्सर किसी की एक गलती भी माफ नहीं कर पाते है, पर वह पिता ही होता है जो हजारो गलतियों के बावजूद भी अपने स्नेह में कोई कमी नहीं आने देता। उनके प्यार में कोई मिलावट दृष्टिगोचर नहीं होती। बच्चे की इच्छाओं की पूर्ति करने में उनके चेहरे में कभी कोई थकावट महसूस नहीं होती। सदैव हमें मधुर वाणी ही प्रिय लगती है, पर अंततः ऐसे लोग हमारे काम नहीं आते। हमारा साथ नहीं देते, पर पिता कटु शब्द बोलकर भी दु:ख में मरहम लगाने के लिए सदैव तैयार रहता है। पिता का कंधा ही बच्चे के लिए मजबूत नींव साबित होता है। पिता रूपी ढाल की कोई कीमत नहीं है। जिस तरह सूरज के होने से दिन देदीप्यमान होता है वैसे ही पिता भी सूरज की तरह गर्म जरूर होता है, परंतु बच्चे की छवि को प्रकाशवान बनाने के लिए उसका प्रयास वंदनीय है।
माँ का आशीर्वाद कर सकता चमत्कार। तो पिता भी सदैव कराते सत्य का साक्षात्कार॥
माँ है यदि जीवन में ठंडी छांव। तो पिता भी भरते जीवन के घाव॥
बच्चे की कामयाबी की उड़ान के पीछे पिता के पसीने की बूँदें शामिल होती है। पिता वह खुली किताब है जो केवल महत्वपूर्ण सबक सिखाने के लिए हमेशा बच्चे के लिए विलन भी बन जाते है। कभी-कभी इच्छाओं के विपरीत कठोर निर्णय सुनाते है। वे बच्चे के मन की प्रत्येक बात समझते है, पर वे बच्चे को जिंदगी का महत्वपूर्ण पाठ सिखाना चाहते है। उनकी छाया तो उसे सदैव संरक्षण प्रदान करती है पर वे चाहते है कि उनकी दूरी भी बच्चे को किसी विपत्ति में न डाले। पिता जो ख्वाहिशें पूरी कर सकते है वह तो हम अपनी ढेरों कमाई से भी पूरी नहीं कर सकते। पापा ने अपनी कम कमाई में भी मेरी कोई इच्छा कभी अधूरी नहीं छोड़ी। पिता की प्रत्येक डांट में प्यार ही समाहित होता है। बस उसकी कठोरता बालक को दुनिया से लड़ने के लिए तैयार करना चाहती है। पिता रूपी छत से ही पूरे परिवार को सुरक्षा प्राप्त होती है। पिता के कंधों की सुरक्षा बच्चे को संसार की भीड़ में गुमराह होने से बचाती है। बच्चे के लिए पिता तो हिम्मत, विश्वास, साहस और आशा का प्रतीक है। उनके झोले में तो हमेशा बच्चे की खुशियों की खरीददारी होती है। पापा आपके द्वारा दी गई पॉकेट मनी तो मेरे लिए जादुई खजाना थी।
माँ की कठिन है पालन-पोषण की साधना। तो पिता भी इस कड़ी में करते अनवरत मौन आराधना॥
माँ उतारती नजर हर बार। तो पिता भी रक्षा हेतु बन खड़ा रहता सदैव तलवार॥
माँ का साया बनाता खुशियों से मालामाल। तो पिता की देखरेख से जीवन होता निहाल॥
मुझे पता भी नहीं चला की जब भी मेरे कदम डगमगाये वे हमेशा मेरे पीछे ही खड़े थे और मैं लगातार सफलता की मंजिल पर पहुँच गया। उनके ख्यालों में भी हमेशा मेरा ही ख्याल रहता है। मेरे इच्छाओं की पूर्ति के अनुरूप ही उनकी घड़ी का विश्राम होता है। बच्चे के नखरों और फरमाइशों को पिता सदैव अपनी सर आँखों पर रखता है। गगनरूपी आकाश की गहराई अनंत है और इसी गगन का स्वरूप है पिता। उसकी गहराई की थाह को कोई नहीं समझ सकता। मेरे सपनों का साकार करने के लिए पिता को कई संघर्षों की दिन-रात व्यतीत करनी पड़ी है। जब भी मैंने एक गलती की तो उसके परिणामस्वरूप मुझे हजारों ठोकरें खानी पड़ी पर पता नहीं मेरे पिता ने मेरी इतनी गलतियों को कैसे बर्दाश्त किया होगा। मेरी हर समस्या का हल मेरे पापा है।
माँ की महिमा को तो मिलते अनेकों अलंकार। पर पिता ही दिलाते जीवन में सच्ची जय-जयकार॥
हर कष्ट की घड़ी में हम माँ को पुकारते। पर हमेशा पिता पीछे खड़े रहकर जीवन को संवारते।।
डॉ. रीना कहती, माँ अगर है धरा का रूप। तो पिता है अडिग सुरक्षा स्तम्भ का स्वरूप॥
पिता शब्द की व्याख्या तो असंभव है। वह तो सही मायनों में जिंदगी की परिभाषा का सरल अर्थ है। मेरे होठों की मुस्कान और आँखों में खुशी का समुंदर मेरे पापा की वजह से है। पापा आप ऐसे अडिग स्तम्भ है जिनके संरक्षण में बच्चे को एक ऐसा सुरक्षा कवच प्राप्त होता है जिससे उसे बाहरी बुराइयाँ, दु:ख, पीड़ा एवं अंधकार महसूस ही नहीं होता। पिता एक ऐसा अनूठा व्यक्तित्व है जो केवल बच्चों के जीवन में प्रकाश का प्रसार करना चाहता है। पिता एक ऐसी अमूल्य निधि स्वरूप है जो सदैव बच्चे की खुशियों के संयोजन में ही स्वयं खर्च हो जाता है।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)