दून विनर /संवाददाता
कांग्रेस पार्टी की दूसरी सूची के बाद कई सीटों पर चुनावी गणित उलझता हुआ दिखाई दे रहा है। इन सीटों पर बर्चस्व की जंग पार्टी के लिए सरदर्द पैदा कर सकती है। जो टिकट से खाली हाथ रहने के बाद पार्टी के फैसले को पचा नहीं पा रहा है वह या तो पार्टी के भीतर ही घात लगाने को तैयार है या पार्टी से बाहर आकर ताल ठोकने की बात कर रहा है। दूसरी सूची आने के बाद असंतुष्टों की आंतरिक संघर्ष की खबरें ज्यादा आ रही हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस की केन्द्रीय चुनाव समिति द्वारा 22 जनवरी को नई दिल्ली से जारी की गई पहली सूची में 53 सीटों के प्रत्याशी घोषित किए गए थे पर टिहरी, डोईवाला, लालकुआं, झबरेड़ा, नरेंद्र नगर, देहरादून कैंट, ऋषिकेश, ज्वालापुर (अ.जा.), रुड़की, खानपुर, लक्सर, हरिद्वार ग्रामीण, चौबट्टाखाल, लैंसडौन, सल्ट, कालाढूंगी, रामनगर इन 17 सीटों पर नाम तय नहीं हो सके। फिर 24 जनवरी शाम को दूसरी सूची जारी की गई जिसमें 11 और सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए। इसके बाद भी नरेंद्रनगर, टिहरी, चौबट्टाखाल, सल्ट, रुड़की, हरिद्वार ग्रामीण कुल 6 सीटों पर फैसला नहीं हो सका है।
कयासबाजी चल रही है कि नरेन्द्र नगर सीट पर कांग्रेस पिछली बार निर्दलीय मैदान में उतरे ओमगोपाल रावत पर दांव खेल सकती है। नरेन्द्र नगर सीट पर ओमगोपाल रावत पिछली बार भाजपा के सुबोध उनियाल से लगभग 6 हजार मतों के अंतर से हार गए थे। कांग्रेस प्रत्याशी हिमांशु बिजल्वाण तीसरे नंबर पर रहे थे। माना जा रहा है कि पिछली बार के उनके प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी ओमगोपाल पर दांव खेल सकती है। टिहरी सीट पर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन पिछले दिनों पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन पर की गई कार्रवाई के बाद इस सीट पर संशय के बादल छाए हुए हैं। पिछली बार इस सीट पर बीजेपी के धन सिंह नेगी ने कब्जा जमाया था, जबकि यहां भी पार्टी के उम्मीदवार नरेंद्र चंद्र रमोला तीसरे नंबर पर रहे थे। दूसरे नंबर पर निर्दलीय दिनेश धनै का कब्जा रहा। माना जा रहा है कि पार्टी किशोर को अभयदान देते हुए इस सीट से उतार सकती है। पिछली बार किशोर ने सहसपुर से ताल ठोकी थी, जहां उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। भाजपा ने भी अभी टिहरी सीट पर टिकट तय नहीं किया है।
कांग्रेस में देहरादून कैंट सीट पर टिकट को लेकर बड़ा घमासान था। इस सीट पर सूर्यकांत धस्माना, लालचंद शर्मा, नवीन जोशी, वैभव वालिया, वीरेंद्र पोखरियाल जैसे नाम सामने आए पर बाजी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के हाथ लगी। धस्माना पिछली बार भी चुनाव लड़े पर भाजपा प्रत्याशी हरबंश कपूर से करीब साढ़े सोलह हजार वोटों के अंतर से हार गए थे। माना जा रहा था कि इस बार कांग्रेस यहां से किसी नए प्रत्याशी का चयन कर सकती है पर धस्माना के क्षेत्र में सक्रिय रहने का उन्हें लाभ मिला, हालाकि राज्य आंदोलनकारी वीरेन्द्र पोखरियाल के समर्थक धस्माना के नाम को पचा नहीं पा रहे हैं। भाजपा ने इस सीट पर भूतपूर्व विधायक हरबंश कपूर की पत्नी सविता कपूर को मैदान में उतारा है,पार्टी के भीतर उनके नाम पर भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं। हरबंश कपूर की पिछले ही दिनों मृत्यु हो गई थी।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की सीट होने के नाते डोईवाला हॉट सीट की श्रेणी में थी पर उनके चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद भाजपा को भी यहां से तगडे दावेदार का चयन करना आसान नहीं है। भाजपा ने अभी तक इस सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। कांग्रेस ने यहां से मोहित उनियाल को टिकट दिया है। युवा उनियाल भले ही प्रदेश के लोगों के लिए नया नाम हो पर उनकी सक्रियता राष्ट्रीय स्तर पर युवा कांग्रेस में रही है। पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है। वैसे पहले यहां से पूर्व विधायक हीरा सिंह बिष्ट का टिकट पक्का माना जा रहा था, लेकिन अचानक उन्हें रायपुर का टिकट थमा दिया गया। माना जा रहा है कि भाजपा की सोच यहां से किसी अनुभवी नेता को टिकट देने की है।
ऋषिकेश सीट पर भी कांग्रेस में बुजुर्ग बनाम युवा चेहरे के बीच जबरदस्त टक्कर रही है। यहां से कांग्रेस ने युवा नेता जयेन्द्र रमोला को टिकट दिया है। पार्टी के टिकट पर वरिष्ठ नेता शूरवीर सिंह सजवाण, विजय सारस्वत और अपेक्षाकृत युवा राजपाल खरोला भी चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे थे। बताया जा रहा है कि टिकट न मिलने के बाद शूरवीर सिंह सजवाण निर्दलीय मैदान में उतरने की बात करने लगे हैं। रामनगर सीट पर पूर्व सीएम हरीश रावत प्रत्याशी होंगे। पहले डीडीहाट से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन पार्टी वहां प्रदीप सिंह को टिकट दे चुकी है। रामनगर सीट से टिकट की आशा संजाए कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत और हरीश रावत के बीच घमासान छिड़ा है। रणजीत रावत इस सीट पर पिछले पांच सालों से तैयारी कर रहे हैं। हरीश रावत ने खुद इस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी जिस पर पार्टी ने मोहर लगा दी है। इस सीट पर पहले से तैयारी कर रहे अन्य कई दावेदारों ने हरीश और रणजीत के पक्ष में अपनी-अपनी दावेदारी तक छोड़ने का एलान किया।
अब देखने वाली बात होगी कि रंजीत रावत को पार्टी कैसे संतुष्ट करती है। उन्हें सल्ट सीट ऑफर की जा सकती है। रंजीत रावत के बेटे को भी सल्ट से टिकट दिए जाने की चर्चा जारी है, हालांकि पिता-पुत्र दोनों कांग्रेस से अलग होकर निर्दलीय चुनाव में उतरने की बात कर रहे हैं।
खबर ये भी है कि कुछ दिन पहले कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह रावत को चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज के खिलाफ उतारा जा सकता है। भारी भरकम उम्मीदवार माने जा रहे सतपाल महाराज के खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती को हरक सिंह भी स्वीकार कर चुके हैं पर अभी पार्टी ने इस बारे में कोई घोषणा नहीं की है। वहीं लैंसडौन सीट पर हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं का नाम घोषित हुआ है। उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद से ही लैंसडौन से चुनाव लड़ने की चर्चा थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार उन्हें इस सीट पर टिकट दिए जाने का आश्वासन भी दिया गया था। दूसरी ओर हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ने की इच्छुक बताई जा रही हैं तो उनके बेटे आनंद रावत को सल्ट से चुनाव मैदान में उतारने की भी चर्चा है। हालांकि टिकट मिला तो दोनों में से किसी एक को ही मिलेगा। कांग्रेस के अभी तक घोषित 64 प्रत्याशियों में पिता-पुत्र दोनों को टिकट का फैसला केवल यशपाल आर्य और संजीव आर्य के मामले में हुआ है जिसका एक बड़ा कारण उनकी जीत की उच्च प्रत्याशी को माना जा रहा है।