दून विनर संवाददाता/देहरादून।
इन दिनों पूरे देश में स्कूली शिक्षा पूरी करने वाले लाखों बच्चे और उनके अभिभावक उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालयों और तकनीकी शिक्षा के लिए व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कदम ताल कर रहे हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि विश्वविद्यालय, तकनीकी-व्यावसायिक शिक्षा संस्थान में प्रवेश लेने से पहले उनकी मान्यता के बारे में अच्छी तरह से जांच-परख की जाए।
कई बार जल्दबाजी में मनचाहे पाठ्यक्रम में दाखिले के चक्कर में छात्र और उनके माता-पिता संस्थान की विधिक मान्यता के बारे में या संबंधित पाठ्यक्रम की मान्यता के बारे में पता करना जरूरी नहीं समझते। परन्तु बाद में पता चलता है कि विश्वविद्यालय फर्जी है, या जिस पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है उसके लिए संस्थान को संबंधित नियामक एजेंसी की मान्यता ही नहीं मिली है, उसके बाद सिवा पछतावे के हाथ कुछ नहीं आता। जहां तक फर्जी संस्थानों के सफाए की बात है यह अभी तक संभव नहीं हो पाया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) हर साल फर्जी विवि का सूची जारी करता है किन्तु इनके खिलाफ सख्त कदम उठाने में कामयाब नहीं होता। फर्जी विवि बकायदा विज्ञापन देकर प्रवेश के लिए लोगों को भ्रमित करते हैं। सरकार इनके कर्ताधर्ताओं को सलाखों के पीछे पहुंचाकर इस धोखाधड़ी और गैरकानूनी धंधे को बंद नहीं करा पाती। यह नहीं कई बार किसी संस्थान में विशेष तकनीकी कोर्स को मान्यता ही नहीं मिली होती है और उसमें प्रवेश लेने वाले छात्रों का भविष्य चौपट हो जाता है।
मान्यता के बिना, इन फर्जी संस्थानों के पास खुद को विश्वविद्यालय कहने और ‘डिग्री‘ प्रदान करने के लिए कोई कानूनी हक नहीं है, इस तरह की उपाधि शैक्षणिक/रोजगार उद्देश्यों के लिए वैध नहीं है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 कहता है, ‘‘डिग्री प्रदान करने या देने का अधिकार केवल केंद्रीय अधिनियम, या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके तहत स्थापित या निगमित विश्वविद्यालय, या डीम्ड विश्वविद्यालय या संसद के अधिनियम द्वारा विशेष रूप से प्रदान करने के लिए सशक्त संस्थान द्वारा किया जाएगा, या डिग्री प्रदान करें। इस प्रकार, कोई भी संस्थान जो संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम द्वारा नहीं बनाया गया है या जिसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिया गया है, वह डिग्री प्रदान करने का हकदार नहीं है।‘‘
भारत में उच्च शिक्षा के लिए प्रत्यायन की देखरेख विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा स्थापित स्वायत्त संस्थानों द्वारा की जाती है। इनमें अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई), दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो (डीईबी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर),बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ),राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी), राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई), भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआइ),राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी), भारतीय फार्मेसी परिषद (पीसीआइ),भारतीय नर्सिंग परिषद (आइएनसी),डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआइ),राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एनसीएच),सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन(सीसीआइएम), भारतीय पशुचिकित्सा परिषद (वीसीआइ)आदि हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने फर्जी विश्वविद्यालयों/संस्थानों और डिग्रियों के बारे में दिशानिर्देश प्रदान किए हैं, जिसमें ऐसे फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची भी
शामिल है। मार्च 2023 में यूजीसी ने फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी की जिसमें 20 विश्वविद्यालयों का नाम है। पाठकों की जानकारी के लिए यहां उस सूची को संलग्न किया गया है।