देहरादून। उत्तराखंड से केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर प्रतिनियुक्ति पर गए आईएएस डॉ राघव लंगर को वापस बुलाकर केंद्र में ही जल शक्ति मंत्रालय में बड़ी जिम्मेदारी दी हैं। इसे उत्तराखंड कैडर के 2009 बैच के इस IAS अधिकारी की बेहतरीन परफॉर्मेंस पर इनाम के तौर पर देखा जा रहा है। इसे पूर्व भी उत्तराखंड में रहते हुए डा. लंगर ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का सफलता पूर्वक निर्वहन किया था। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की महत्वकांक्षी परियोजना नमामि गंगे में बतौर अपर सचिव/कार्यक्रम निदेशक, सीईओ, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, अपर सचिव उच्च शिक्षा तथा वर्ष 2013 में उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग के केदारनाथ घाटी में आई भीषण आपदा के दौरान केदार घाटी के पुनर्निर्माण, जीर्णोद्धार, फौरी तौर पर राहत बचाव कार्य व आम जन जीवन को पुनः पटरी पर लाने हेतु युद्ध स्तर पर सफलतापूर्वक कार्य भी शामिल हैं।
डा. राघव लंगर की कार्यकुशलता और ट्रेक रिकॉर्ड के मद्देनजर वर्ष 2018 में उन्हें प्रतिनयुक्ति पर जम्मू एवं कश्मीर में वाह्यसहातित योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु बनी एजेंसी इकोनॉमिक रिकस्ट्रक्शन एजेंसी (ERA) में भेजा गया था । जहां उन्होंने बतौर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य के अति संवेदनशील जनपदों कठुआ, पुलवामा में बतौर जिलाधिकारी रहते हुए जिलों में अपने दायित्वों का सुचारू निर्वहन के साथ ही भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाओं का धरातल में सफलता पूर्वक कार्यन्वयन किया गया। डॉ. लंगर द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य में धारा 370 हटाए जाने के उपरांत पुनर्गठित यूनियन टेरिटरी जम्मू कश्मीर में जम्मू डिवीज़न के डिवीज़नल कमिश्नर के दायित्वों के साथ वर्तमान में सचिव नियोजन/विकास, निगरानी विभाग जम्मू एवं कश्मीर सरकार के पद पर कार्यरत थे।
यही वजह है कि डॉ. लंगर की कार्यकुशलता, तेजतर्रार छबि व अभी तक के उनके सफल कार्यकाल को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौपी है । जिसके तहत उन्हें जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण, जल शक्ति मंत्रालय में बतौर निदेशक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।