इस महाविद्यालय में खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर छात्र-छात्राएं 

इस महाविद्यालय में खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर छात्र-छात्राएं 

नीरज उत्तराखंडी/उत्तरकाशी। आसमान से  छूटे खजूर में  अटके  यह कहावत राजकीय महाविद्यालय मोरी पर चरित्रार्थ होती नजर आ रही है।
काफी संघर्ष एवं जद्दोजहद के बाद वर्ष 2021 में मोरी ब्लाक में  राजकीय महाविद्यालय तो खुल गया, लेकिन  ढांचागत सुविधा के अभाव में व्यवस्था के तौर पर ट्राइसेम के टीनशेड निर्मित तीन भवनों में संचालित  किया जा रहा है। इस बीच सतलुज जल विद्युत निगम ने सीएसआर फंड के अंतर्गत एक अतिरिक्त कक्ष बनवाने के लिए 16 लाख की धनराशि प्रदान की। निर्माण का अनुबंध अवस्थापन खण्ड सिंचाई विभाग उत्तरकाशी से हुआ, लेकिन विभागीय क्लास वन ठेकेदार की कारगुजारियों के चलते निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है।
विभागीय ठेकेदार ने अतिरिक्त कक्ष निर्माण में मानकों की अनदेखी कर भवन का निर्माण किया। अनुबंध के मुताबिक भवन 9म12 मीटर का बनाया जाना था, जबकि ठेकेदार  ने मनमानी कर 7म9 मीटर मापन  का टीन शैड बना कर अपनी जिम्मेदारी की इतीश्री कर डाली।
मामले की जानकारी मिलने पर सामाजिक कार्यकर्ता राज्य आदोलनकारी विपिन  चौहान ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की। पोर्टल  पर शिकायत के बाद भी विभाग की नींद नहीं खुली।
विद्यालय प्रशासन व पीटीए अध्यक्ष की शिकायत के बाद आखिर ठेकेदार ने पुन: भवन निर्माण कार्य शुरू किया, लेकिन टीन शेड के इस भवन निर्माण में पुरानी फटी छेदनुमा चादरों का इस्तेमाल कर अपनी मंशा एक बार पुन: जगजाहिर कर दी।
बताते चलें कि मोरी ब्लाक में राजकीय महाविद्यालय खुलने से मोरी ब्लाक के छात्र-छात्राओं का उच्च शिक्षा ग्रहण करने का सपना साकार  हुआ था, लेकिन विभागीय अधिकारियों की अनदेखी व ठेकेदार की मनमानी ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। विद्यालय भवनों के अभाव में दो कक्षाएं ट्राइसेम के टीन शेड में तो एक कक्षा कड़ाके की ठंड में खुले में आसमान के नीचे संचालित की जा रही है।
वहीं 16.45 लाख की लागत से नव निर्मित टीन शेड में लगी छेदनुमा पुरानी टीन की चादर कुलर का काम करती है और बरसात में निर्माण में की गई मानकों की अनदेखी एवं भ्रष्टाचार के आंसू बहाती है।
इस संबंध में पीटीए अध्यक्ष जय चंद रावत का कहना है कि टीन शेड भवन का निर्माण विगत 2 वर्षों से पूर्ण नहीं हो पाया है। शेड में असंख्य छेदनुमा  चादरें लगाई गई हैं। ठेकेदार द्वारा यदि निर्माण में उपयोग की गई चादरें नहीं बदली गई या अंदर से प्लाई नहीं लगाई गई तो अभिभावक संघ को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
आजकल बच्चों की पढ़ाई खुले आसमान के नीचे हो रही है, जिस कारण बच्चों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो कि बड़ी चिंता का विषय है, जबकि 2 बर्षांें से अभी तक टीन शेड पूर्ण नहीं हो सका।
इस संबंध में नितिन  सिंह बीए तृतीय वर्ष, रितिक बीए तृतीय वर्ष छात्र, नवोजा बीए प्रथम सेमेस्टर छात्रा व सखिन्द्री बीए तृतीय सेमेस्टर की छात्रा का कहना है कि विद्यालय भवन निर्माण में बरती गई लापरवाही का खामियाजा उन्हें कड़ाके की सर्दी में खुले आकाश तले बैठकर पढ़ाई कर भुगतना पड़ रहा है। टीन शेड में जो चादरें लगाई गई हैं उसमें छेद ही छेद हैं, जिससे हवा व बरसात का पानी टपकने से उसमें बैठ कर अध्ययन करना दूभर हो गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं राज्य आदोलनकारी विपिन चौहान का कहना है कि सीएम पोर्टल पर शिकायत करने पर उनका पक्ष जाने बिना ही शिकायत का निस्तारण कर दिया गया, जो बहुत ही निराशाजनक है।
All Recent Posts Latest News उत्तराखण्ड