उत्तराखंड में फिलहाल मौसम शुष्क है। चटख धूप खिलने से तापमान भी सामान्य के इर्द-गिर्द पहुंच गया है। प्रदेश में इस बार शीतकाल में रिकार्ड बारिश और बर्फबारी हुई है। अक्टूबर से अब तक कई बार बारिश और बर्फबारी हो चुकी है। इस सीजन में बारिश में सामान्य से डेढ़ गुना, जबकि बर्फबारी में दोगुना इजाफा दर्ज किया गया। विशेषज्ञों ने इसे प्रशांत महासागर में होने वाले ला नीना का प्रभाव बताया है। यही कारण है कि इस बार शीतकाल का दायरा भी बढ़ने अंदेशा जताया जा रहा है।
ला नीना के प्रभाव के कारण उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत में बारिश अधिक होने की संभावना जताई जा रही थी। हिमालयी राज्यों में शीतकाल शुरू होने के बाद से ही बारिश-बर्फबारी का दौर जारी है। इस बीच नवंबर-दिसंबर में सामान्य से अधिक ठंड महसूस की गई। जो कि जनवरी में कड़ाके की ठंड में बदल गई। उत्तराखंड में बीते डेढ़ माह से सर्दी का सितम है और तापमान लगातार सामान्य से नीचे बना हुआ है। अब भी नियमित अंतराल में बारिश और बर्फबारी जारी है। मौसम विज्ञान के अनुसार फरवरी में अभी बारिश-बर्फबारी के कुछ दौर और हो सकते हैं। जिससे शीतकाल की अवधि बढ़ सकती है।
प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में होने वाले परिवर्तन को ला नीना कहा जाता है। प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा से ऊपर 140 से 120 डिग्री के बीच के हिस्से को नीनो-3.4 रीजन कहा जाता है। जब इस क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से नीचे होता है तो इस स्थिति को ला-नीना कहते हैं। इसका प्रभाव लगभग पूरी दुनिया में नजर आता है और बारिश और बर्फबारी में इजाफा होता है।