भाजपा में बढी भीतरघात की बौखलाहट

भाजपा में बढी भीतरघात की बौखलाहट

दून विनर संवाददाता
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद गुजरे एक सप्ताह में सत्तारूढ भाजपा के भीतर चुनाव मे अंदरखाने की मार के आरोपों की झड़ी लगी है। भाजपा की प्रदेश में नंबर एक प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस में भावी मुख्यमंत्री के सपने बुने जा रहे हैं, पर अबकी बार साठ पार का नारा दे रही भाजपा में कई प्रत्याशी हा-हाकार मचा रहे हैं, जबकि अभी परिणाम आने में काफी वक्त बचा है। पार्टी ने चुनाव लड़े सभी प्रत्याशियों को हिदायत दी है कि वे किसी भी तरह की शिकायत केवल पार्टी फोरम पर करेंगे, सभी को मीडिया में बयानबाजी न करने की हिदायत दी गई है, इसके बावजूद सार्वजनिक मंचों पर भीतरघात के आरोप लगाए जा रहे हैं।
मतदान के अगले दिन से ही भाजपा में भीतरघात के आरोपों पर पारा गर्म है। अब तक कैबिनेट मंत्री और डीडीहाट से भाजपा प्रत्याशी बिशन सिंह चुफाल सहित पांच प्रत्याशी सार्वजनिक तौर पर भीतरघात के आरोप लगा चुके हैं। कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने देहरादून में पत्रकारों से कहा कि बीते दिनों हुए विस चुनाव में प्रदेश की कई सीटों पर कुछ कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने भीतरघात किया है। चुफाल ने पार्टी आलाकमान से भीतरघातियों पर सख्त कार्रवाई करने का आग्रह भी किया है। यमुनोत्री विधायक व प्रत्याशी केदार सिंह रावत ने भी अपनी सीट पर भीतरघात की आंशंका जताई है। हालाकि उन्होंने भी डीडीहाट प्रत्याशी बिशन सिंह चुफाल की तरह सीट जीतने का दावा किया है।
मतदान के बाद ही लक्सर के विधायक व प्रत्याशी संजय गुप्ता ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर अपने चुनाव में हार की साजिश रचने का आरोप लगाकर सनसनी पैदा कर दी थी। उसके बाद कुमाऊं मंडल से पार्टी के दो और विधायकों ने चुनाव में भीतरघात का आरोप लगाया। चंपावत से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े विधायक कैलाश गहतोड़ी ने मतदान के अगले ही दिन पत्रकारों के सामने भीतरघात होने की बात कही। उन्होंने संगठन के कुछ लोगों पर भाजपा के बजाय अन्य दलों के प्रत्याशियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने इस संबंध में प्रमाण के साथ पार्टी नेतृत्व में शिकायत दर्ज कराने की भी बात कही। काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा ने भी मतदान के अगले दिन प्रेसवार्ता में भीतरघात की बात कही। चीमा ने ये भी कह दिया कि जिन्होंने भी भीतरघात किया है, उनके विषय में पार्टी हाईकमान को पता है।
भीतरघात के आरोपों की फेहरिश्त को रोकने में भाजपा हाई कमान बेवश नजर आ रहा है। सबसे बड़ी और हास्यास्पद बात ये है कि अभी तक आरोपों के साथ कोई ठोस सुबूत सामने नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की कठिन हो चुकी चुनावी जंग को जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने में व्यस्त हाईकमान को अभी इतनी फुर्सत नहीं कि वह भीतरघात के आरोपों पर आंतरिक जांच करवा पाए। उत्तराखंड में जिस तरह मतदाताओं ने चुपचाप रहकर मतदान किया है उससे भी भाजपा हाईकमान के कान खड़े हो गए हैं। पिछले चुनावों के बाद अक्सर चहल-पहल से लबालब नजर आने वाला पार्टी का प्रदेश कार्यालय इस बार सूना सा दिख रहा है। इस तरह के संकेत भाजपा के लिए अच्छे नहीं माने जा रहे हैं।

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