उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग का बुरा हाल चिकित्सकों के 30 फीसदी पद खाली

उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग का बुरा हाल चिकित्सकों के 30 फीसदी पद खाली

दून विनर संवाददाता/देहरादून

सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल यह है कि भवन खड़े हैं, परिसर फैले हुए हैं, एंबुलेंस खड़ी हैं, ओपीडी में रोज लोग आते हैं पर चिकित्सकों की भारी कमी की वजह से निराश होकर लौटते हैं। पर्वतीय जिलों की पिछले दशकों से यह हालत बनी हुई है पर मैदानी जिलों के ग्रामीण क्षेत्र भी पीछे नहीं हैं। हरिद्वार जिले के कस्बा में मौजूदा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को 14 साल पहले अपग्रेड कर दिया गया था। अपग्रेड करने के बाद वहां 11 चिकित्सकों के पद सृजित किए गए. लेकिन डेढ माह पहले की स्थिति के अनुसार अस्पताल में फिजिसियन, सर्जन, आर्थो सर्जन, स्त्री रोग व बाल रोग विशेषज्ञ, निश्चेतक, रेडियोलोजिस्ट तक की तैनाती नहीं है।

चिकित्सा अधीक्षक, एक सीनियर डॉक्टर, दो अन्य डॉक्टर अस्पताल में आने वाले मरीजों की खांसी, जुकाम, सर्दी समेत छोटी-मोटी बीमारियों का उपचार व उनकी दवाओं का वितरण करते हैं। उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधीन तैनात डॉक्टरों की संख्या, विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की स्थिति जनपदों के अनुसार जानने पर तस्वीर और साफ होती है। 30 जनवरी 2020 को भारत में केरल राज्य में कोरोना वाइरस का पहला पोजिटिव मामला आया था। उससे पहले 7 जनवरी को महानिदेशक चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तराखंड सरकार के कार्यालय से सूचना का अधिकार के अन्तर्गत प्राप्त हुए डेटा के अनुसार महानिदेशालय में डॉक्टरों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 2735 है। इनमें से केवल 1879 पदों पर चिकित्सक कार्यरत हैं। चिकित्सकों के 856 पदों पर तैनाती नहीं है।

इससे पता चलता है कि चिकित्सकों के औसतन प्रत्येक 100 पदों में से 69 पदों पर चिकित्सक नियुक्त हैं और 31 पदों पर चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं है। महानिदेशालय में चिकित्सकों के 42 पद स्वीकृत हैं पर यहां भी केवल 27 पद ही भरे जा सके। अस्पतालों खाली पड़े पद ज्यादातर विशेषज्ञ चिकित्सकों के हैं। टिहरी जिले में 14 सर्जन के पद स्वीकृत हैं पर एक भी पद पर सर्जन की तैनाती नहीं थी। वहीं चंपावत में कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ ही नहीं है जबकि जनपद के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ के 6 पद स्वीकृत हैं।

टिहरी में बालरोग विशेषज्ञ के 14 पदों और स्त्री रोग विशेषज्ञ के 15 पदों के सापेक्ष तैनाती क्रमशः 2 और 1 पद पर है। इसी तरह चंपावत जिले में बालरोग विशेषज्ञ के स्वीकृत 4 पदों में एक पद पर चिकित्सक कार्यरत है, बाकी तीन पद खाली पड़े हैं; हालांकि 3 सर्जन कार्यरत हैं और एक पद रिक्त है। पौड़ी में सर्जन के 20, बालरोग विशेषज्ञ के 22 और स्त्री रोग विशेषज्ञ के 22 पद स्वीकृत हैं पर वर्तमान में इनमें से क्रमशः तैनाती केवल 4, 5 व 4 पदों पर है यानी तीन क्षेत्रों के 64 विशेषज्ञ डॉक्टर के पदों के सापेक्ष मात्र 13 विशेषज्ञ कार्यरत हैं। अल्मोड़ा जिले की स्वास्थ्य सेवा को देखा जाए तो सर्जन, बालरोग व स्त्री रोग विशेषज्ञ के कुल स्वीकृत 52 पदों के सापेक्ष मात्र 14 पदों पर विशेषज्ञ कार्यरत हैं यानी 38 पद रिक्त है। चमोली जनपद में सर्जन व बालरोग विशेषज्ञ के 8-8 पद स्वीकृत हैं जिनमें 6-6 पद रिक्त हैं, वहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ के 9 पदों में से केवल एक पद पर चिकित्सक कार्यरत है। उधर उत्तरकाशी में सर्जन के 6 पदों के सापेक्ष एक पद पर नियुक्ति है; बालरोग व स्त्री रोग विशेषज्ञ के स्वीकृत 7-7 पदों के सापेक्ष क्रमशः 4 व 2 चिकित्सक कार्यरत हैं। रुद्रप्रयाग जिले में सर्जन, बालरोग विशेषज्ञ व स्त्री रोग विशेषज्ञ तीनों क्षेत्रों के स्वीकृत पद 4-4 हैं पर यहां एक-एक सर्जन और बालरोग विशेषज्ञ एवं दो स्त्री रोग विशेषज्ञ ही कार्यरत हैं।

सुदूर पिथौरागढ़ जिले में सर्जन, बालरोग व स्त्री रोग विशेषज्ञ के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 24 है पर केवल 9 पदों पर चिकित्सक कार्यरत हैं। बागेश्वर जिले में सर्जन, बालरोग और स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रत्येक के 5-5 पद स्वीकृत हैं; इन 15 पदों में से केवल 5 पद भरे जा सके हैं, बाकी पद खाली पड़े हैं। स्वास्थ्य महानिदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार हरिद्वार जिले में सर्जन, बालरोग और स्त्री रोग विशेषज्ञ तीनों क्षेत्रों में हरेक के 14 14 पद स्वीकृत हैं यानी कुल 42 पद हैं पर केवल 9 पदों पर चिकित्सक कार्यरत हैं। सर्जन के 14 में से एक पद पर तैनाती है, बाकी 13 पद खाली पड़े हैं। नैनीताल जिले में भी चिकित्सकों की काफी कमी है। यहां के लिए सर्जन, बालरोग व स्त्री रोग विशेषज्ञ के कुल मिलाकर 70 पद स्वीकृत हैं पर इनमें से केवल 21 विशेषज्ञ चिकित्सक कार्यरत हैं।

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