* तुष्टिकरण की खातिर कांग्रेस और उसके सहयोगी असमंजस मे
* कांग्रेस का सेकुलर चेहरा भी हो चुका है बेनकाब
देहरादून। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश मे अस्तित्व मे आ रहे समान नागरिक अधिकार कानून को लेकर राज्य वासियों मे उत्साह का वातावरण है, लेकिन विपक्षी कांग्रेस और उनके सहयोगी ढुलमुल और असमंजस की स्थिति मे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के यूसीसी पर दिये बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चौहान ने कहा कि कांग्रेस किसी भी सुधार की प्रक्रिया अथवा विकास को लेकर नकारात्मक रुख अपनाती रही है और यूसीसी को लेकर वह शुरू से ही विरोध करती रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी नागरिकों को समान अधिकार दिये जाने को लेकर एक कानून बन रहा है तो इसमें कांग्रेस को दिक्कत क्यों और किसके लिए है?
चौहान ने कहा कि कांग्रेस हमेशा ही समान नागरिक आचार सहिंता को मुस्लिम समुदाय के विरोध मे साजिश का प्रचार कर भाजपा के खिलाफ एजेंडा चलाती रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मे यूसीसी के गठन की प्रकिया के दौरान जब सुझाव लिए जा रहे थे तो कांग्रेस उसकी खामिया ढूंढने मे लगी रही और वह इसे साजिश करार देने के लिए प्रचारित करती रही। वह तब से सवाल उठाती रही जब से ड्राफ्ट तैयार करने की शुरुआत हुई। राजनैतिक दलों की राय के लिए आमंत्रित किये जाने पर भी वह बैठकों का बहिष्कार करती रही और इससे साफ है कि वह इस कानून का विरोध करने वालों को नाराज नही करना चाहती थी।
उन्होंने कहा कि जो कानून देश को धर्म के आधार पर बांटे और समाज मे ऊंच नीच की भावना को प्रश्रय दे उसे देश और समाज हित मे हटाकर समान नागरिक कानून बनना ही चाहिए। उत्तराखंड सरकार द्वारा लाये गए यूसीसी मे सभी प्राविधान संविधान के अनुरूप रखे गए है और विस्तृत अध्ययन के बाद ही बिल को अंतिम रूप दिया गया है।
चौहान ने कहा कि ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने से पहले हजारों लोगो से जनसंपर्क , 30 से भी अधिक बैठकें , 43 जन संवाद कार्यक्रम और 2.33 लाख लोगों से सुझाव लिए गए। यह कानून सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है और इसमें किसी धर्म, जाति मे भेदभाव खत्म करता है। विवाह, तलाक, उत्तराधिकार तथा संपत्ति विवाद मे एक समान कार्य करेगा।
उन्होंने कहा कि जातीय और धार्मिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए देश मे समान नागरिक कानून जरूरी है। इससे खुद को धर्म निरपेक्ष कहने वाले कांग्रेस या तथा कथित अन्य दलो का चेहरा भी बेनकाब हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से देश मे सेकुलर सिविल कोड की घोषणा कर चुके हैं जो कि राज्य सरकार द्वारा बनाये गए यूसीसी पर मुहर है। सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों मे नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाने पर जोर दे चुका है। लेकिन देश मे 75 साल बाद भी कम्युनल सिविल कोड को क्यों नही हटाया जा सका इससे कांग्रेस की मंशा को समझा जा सकता है। कांग्रेस न संविधान की मूल भावना और न ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन कर सकी। वह अवसरवादी राजनीति को ही जन सेवा मानती रही है जनता उसकी हकीकत को समझ चुकी है।