आरक्षण पर राजनीति से बाज आये कांग्रेस, भाजपा ही मलिन बस्तियों की सरंक्षक: विनोद चमोली

आरक्षण पर राजनीति से बाज आये कांग्रेस, भाजपा ही मलिन बस्तियों की सरंक्षक: विनोद चमोली

* 24 गुना बढ़ी राज्य की अर्थ व्यवस्था, प्रति व्यक्ति आय मे 17 प्रतिशत की बढ़ौतरी

देहरादून। भाजपा ने पूर्ववर्ती आरक्षण प्रारूप पर प्रवर समिति की सहमति के बाद शीघ्र ही निकाय चुनाव होने की उम्मीद जताई है। साथ ही विपक्ष को राजनीति नहीं करने की नसीहत देते हुए कहा, हमारी सरकार ने पहले भी बस्तियों को बचाने का काम किया है और शीघ्र अध्यादेश लाने की उम्मीद जताई। हम हाइड्रोग्राफी सर्वे से नदियों की चौड़ाई निर्धारित कर इस मुद्दे के स्थाई समाधान की तरफ निर्णायक रूप से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अर्थ व्यवस्था मे रिकार्ड वृद्धि साफ अर्थ है कि राज्य समृद्धि की ओर बढ़ रहा है। राज्य की अर्थ व्यवस्था 24 गुना बढ़ी है, जबकि प्रति व्यक्ति आय मे 17 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई है।

पार्टी मुख्यालय में निकाय चुनाव के मुद्दे पर मीडिया ब्रीफिंग के दौरान धर्मपुर विधायक एवं विधानसभा प्रवर समिति सदस्य विनोद चमोली ने स्पष्ट किया कि हम शीघ्र ही निकाय चुनाव कराने और मलिन बस्तियों को सुरक्षित करने के लिए अध्यादेश लाने के पक्ष में हैं। समिति के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद एकल सदस्यीय आयोग ओबीसी आरक्षण को लेकर गठित किया गया था। जिसकी रिपोर्ट सदन में रखने पर यह विषय सामने आया कि ओबीसी राज्य का विषय है लिहाजा स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए आरक्षण तय किया जाए । जिसको देखते हुए प्रवर समित बनी, जिसने 3 बैठकों में विस्तृत चर्चा के बाद निर्णय लिया कि फिलहाल 2011 की जनगणना के अनुसार 2018 चुनाव की व्यवस्था के आधार पर निकाय चुनाव कराए जाएं। भाजपा भी वर्तमान परिस्थितियों में पूर्ववर्ती व्यवस्था के आधार पर निकाय चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। साथ ही उम्मीद जताई कि दो तीन दिन में शासन के स्तर कर ओबीसी के साथ महिला, एससी एसटी आरक्षण को लेकर नियमावली रोस्टर तैयार हो जाएगा। तदोपरांत आपत्तियां एवं अन्य प्रक्रिया पूरी करते हुए दिसंबर में निकाय चुनाव संपन्न हो सकते हैं।

उन्होंने कहा की जहां तक सवाल है प्रवर समिति का तो उसने ओबीसी आरक्षण के विषय पर विस्तृत अध्ययन की जरूरत महसूस की है। व्यापक अध्ययन के तहत इस आरक्षण के प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा । इसे लागू करने से सामाजिक ताने बाने पर क्या असर पड़ सकता है, चाहे शैक्षिक वातावरण की बात करें, चाहे विरासत की, चाहे सामाजिक प्रभाव की या राजनैतिक प्रभाव की। इन सब विषयों को लेकर समिति का कार्यकाल एक माह बढ़ाया गया है जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है।

मलिन बस्तियों के नियमितीकरण को लेकर उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर पार्टी का रुख स्पष्ट है कि इस मुद्दे का स्थाई समाधान होना जरूरी है। क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में सबसे पहले प्रभावित लोगों को सुरक्षित किया जाना आवश्यक है। पूर्व में भी भाजपा सरकार ने अध्यादेश लाकर बस्तियों को बचाया था और हमे उम्मीद है कि शीघ्र ही इस पर अध्यादेश लाया जाएगा। शुरुआत से ही भाजपा इस पक्ष में रही है कि नदियों की चौड़ाई निर्धारित की जाए क्योंकि जब तक ऐसा नहीं होगा बस्तियों के नियमितीकरण के लिए भू परिवर्तन आदि तमाम प्रक्रियाएं नहीं की जा सकती है। हम सबके लिए बेहद संतोष है कि पहली बार हाइड्रोलॉजिकल सर्वे करके नदियों की चौड़ाई फिक्स करने की दिशा में हम निर्णायक दृष्टि से आगे बढ़े हैं । जब यह निर्धारण अंतिम हो जाएगा तो नदी तट या जलमग्न भूमि की परिभाषा भी तय हो जाएगी। जिसके बाद भूपरिवर्तन आदि प्रक्रिया पूर्ण कर बस्तियों का नियमितीकरण किया जा सकता है।

इस गंभीर एवं संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करना उचित नहीं है, हमने ही बस्ती के लोगों को उनके राजनैतिक आर्थिक शोषण से बचाने का काम किया। बस्तियों में विकास कार्य सुनिश्चित किए, टैक्स के दायरे में लेकर आए और नियमित करने का काम भी किया। आज भी हमारी सरकार इस मुद्दे के स्थाई हल को लेकर काम कर रही है और हम ही इसका समाधान भी करेंगे।

उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था मे रिकार्ड वृद्धि को उत्साहपूर्ण है। 24 वर्षों की विकास यात्रा में उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था ने लंबी छलांग लगाई है। आज अर्थव्यवस्था का आकार 24 गुना बढ़ा है। इसी प्रकार प्रति व्यक्ति आय 17 गुना बढ़ी है। इससे साफ है कि उत्तराखंड राज्य में विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है।

चौहान ने कहा कि दो दशक से अधिक समय मे तमाम उतार चढ़ाव के बाद भी राज्य मे विकास की रफ्तार धीमी नहीं पड़ने दी। आज राज्य की अर्थव्यवस्था (जीएसडीपी) लगातार सुधार की ओर है। अर्थव्यवस्था का बढ़ता आकार राज्य की समृद्धि को बयां कर रहा है।

राज्य गठन के वक्त वर्ष 2000 में अर्थव्यवस्था का आकार ₹14501 करोड़ था, जो 2023-24 में बढ़कर ₹346000 करोड़ रुपये हो चुका है। इसमें पर्यटन क्षेत्र का अहम योगदान रहा है। दो वर्ष पूर्व जीएसडीपी में पर्यटन सेक्टर की भागीदारी 37% थी, जो अब बढ़कर 43.7 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार प्रति व्यक्ति आय भी बढ़कर ₹02लाख 60 हजार हो चुकी है। जबकि वर्ष 2000 में प्रति व्यक्ति आय ₹15285 थी। पिछले दो वर्षों के आंकड़ों पर ही नजर डालें तो राज्य की प्रति व्यक्ति आय में 26 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

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