पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे कम आपराधिक छवि वाले प्रत्याशी उत्तराखंड विधानसभा पहुंचेंगे वहीं सबसे ज्यादा आपराधिक छवि वाले प्रत्याशी उत्तर प्रदेश और गोवा विधानसभा पहुंचेंगे। गोवा क्षेत्रफल और जनसंख्या में भले ही उत्तरप्रदेश से बहुत छोटा हो पर आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों की तुलना में वो उत्तर प्रदेश को टक्कर दे रहा है।एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक विधानसभा चुनावों में आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में लगभग 26 प्रतिशत है। इनमें 20 फीसदी प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या और दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। वहीं इस बार आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों के आंकड़ों को लेकर छोटे से राज्य गोवा ने सभी को चौंका दिया है। यहां जनसंख्या उत्तर प्रदेश के एक जिले के बराबर है, जबकि आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों के मामले में गोवा उत्तर प्रदेश की बराबरी कर रहा है। यहां भी विधानसभा चुनावों में कुल प्रत्याशियों में से 26 प्रतिशत आपराधिक छवि वाले प्रत्याशी हैं। इनमें 18 प्रतिशत प्रत्याशियों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के मामले में पंजाब तीसरे नम्बर पर है जिसके 25 प्रतिशत प्रत्याशी आपराधिक छवि के हैं। इनमें 17 प्रतिशत के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास के जैसे मामले दर्ज हैं। पंजाब के बाद मणिपुर में 20 प्रतिशत प्रत्याशी आपराधिक पृष्ठभूमि के और 15 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर प्रवृति के अपराध दर्ज हैं। जबकि उत्तरखण्ड के प्रत्याशियों में केवल 17 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें केवल 10 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव मैदान में इस बार सबसे ज्यादा आपराधिक छवि वाले प्रत्याशी उतारने वाले दवों में शिरोमणि अकाली दल सबसे आगे है। इसने 68 प्रतिशत आपराधिक छवि के प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। इनमें से 63 फीसदी पर गंभीर अपराधों के मुकदमें चल रहे हैं। आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों के ममाले में समाजवादी पार्टी दूसरे नम्बर पर है। इस दल के 56 फीसदी प्रत्याशियों पर आपराधिक केस चल रहे हैं जिनमें से 41 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर अपराधों के मामले विचाराधीन है। सपा गठबंधन के सदस्य राष्ट्रीय लोकदल के 51 प्रतिशत प्रत्याशियों भी आपराधिक छवि के हैं जिनमें से 46 प्रतिशत पर गंभीर मामले हैं।
भारतीय जनता पार्टी के 38 प्रतिशत प्रत्याशी आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं जिनमें से 28 प्रतिशत के खिलाफ हत्या, दुष्कर्म और डकैती जैसे मामले अदालतों में चल रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी भी भाजपा के महाबलियों से थोड़ी ही पीछे है। इसके 35 प्रतिशत मुल्जिम प्रत्याशियों में से 27 प्रतिशत पर गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि के मामले में कांग्रेस के प्रत्याशी सबसे पीछे हैं। कांग्रेस के 34 प्रतिशत प्रत्याशी आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं जिनमें से 22 प्रतिशत पर गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं।एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखण्ड के 632 प्रत्याशियों में से सिर्फ एक के खिलाफ हत्या, 3 के खिलाफ हत्या का प्रयास और 6 के खिलाफ महिला उत्पीड़न के मामले अदालतों में चल रहे हैं। हरिद्वार जिले के एक प्रत्याशी के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। आपराधिक मामले झेल रहे प्रत्याशियों में शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डे भी एक हैं। कुल मिला कर चुनाव में उतरे पांच राज्यों के 6874 प्रत्याशियों में से 44 के खिलाफ हत्या के और 209 के खिलाफ महिला उत्पीड़न के मामले विचाराधीन हैं।