देहरादून। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक और उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि विधायकों की पेंशन बढ़ाए जाने पर कोई ऐतराज नहीं परंतु आंदोलनकारियों की भी पेंशन 15 हजार प्रति माह किए जाए।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि वह राजनीतिक कार्यकर्ता हैं और वह जानते हैं की करोड़ों लोगों में लाखों राजनीतिक कार्यकर्ता होते हैं और उन लाखों में कुछ हजार ही विधानसभा या संसद के सदस्य हो पाते हैं और वह भी कुछ समय के लिए होते हैं। कोई आजीवन नहीं होते।
ऐसी स्थिति में जिन लोगों ने अपना जीवन सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र के लिए झोंक दिया है उनकी पेंशन यदि 60000 हो भी जाए तो कोई बहुत बड़ी आफत नहीं है लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार को राज्य आंदोलनकारी के प्रति भी विशिष्ट भाव रखना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि उन्होंने भी अपनी पूरी जिंदगी राज्य को बनाने में लगाई है।
जिसकी बदौलत आज यहां के सैकड़ो राजनीतिक कार्यकर्ता विधानसभाओं और संसद में सुसर्जित हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि यह सही है कि राज्य के हालात आर्थिक स्तर पर ठीक नहीं है और इसके लिए कर्ज ले लेकर राज्य को चलाया जा रहा है लेकिन यह व्यवस्था कोई देहरादून तक ही नहीं है दिल्ली और लखनऊ में भी यही हाल है।
सरकार को अपने आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने की भी कोशिश करनी चाहिए और साथ ही जिन वर्गों को सहायता मिलनी चाहिए उन वर्गों को सहायता देने में भी संकोच नहीं करना चाहिए्।
उन्होंने खास तौर पर आंदोलनकारियों की खराब माली हालत की ओर सरकार का ध्यान दिलाया और कहा कि मुख्यमंत्री को इस कड़वी सच्चाई पर ध्यान देना चाहिए।