दून विनर/संवाददाता
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवन्त मान ने घोषणा की है कि एमएलए के तौर पर एक बार से अधिक कार्यकाल होने के बावजूद भी पूर्व एमएलए के तौर पर मिलने वाली पेंशन केवल एक कार्यकाल की दी जाएगी। एमएलसी के लिए भी यही नियम लागू होगा। इसके साथ ही यदि किसी नेता को पूर्व एमएलए और पूर्व एमपी दोनों की पेंशन मिल रही है तो दोनों में से एक पेंशन का चुनाव करना होगा, दोनों कार्यकाल की पेंशन नहीं मिलेगी।
इस बदलाव से बचत होने वाले फंड को जनकल्याण की योजनाओं में लगाया जाएगा। आकलन है कि पंजाब में पूर्व एमएलए के वर्तमान पेंशन नियमों के तहत 10 बार के एमएलए को 6 लाख 62 हजार पेंशन मिल रही है, जबकि नई घोषणा लागू होने के बाद यह राशि 75 हजार रुपए मासिक होगी। अनुमान है कि पंजाब में एमएलए पेंशन के नए नियम लागू होने पर 5 वर्षों में 80 करोड़ की बचत होगी। आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार की घोषणा से पड़ोसी राज्य हरियाणा में ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में भी राजनैतिक और सामाजिक हलकों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
उत्तराखंड में हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनाव से पूर्व आरटीआइ से खुलासा हुआ था कि प्रदेश के 95 पूर्व एमएलए को 52 लाख 73 हजार 900 रुपए मासिक पेंशन सरकारी खजाने से जारी हो रही है। इसमें तीन पूर्व एमएलए को तो प्रदेश गठन के पूर्व से ही पेंशन मिल रही है। सबसे कम पेंशन की राशि 14 हजार रुपए और सबसे अधिक 91 हजार रुपए है।
वर्तमान में विभिन्न प्रदेशों में पूर्व एमएलए को दी जा रही पेंशन राशि अलग-अलग है। मार्च 2021 में तेलांगना विधानसभा में पास हुए बिल में पूर्व एमएलए की पेंशन राशि 50 हजार कर दी गई, वहीं तीन बार से ज्यादा एमएलए रहने पर 75 हजार मासिक पेंशन मिलेगी। उत्तराखंड में एक दिन एमएलए रहने पर भी 40 हजार की पेंशन पक्की है। इसके बाद कार्यकाल के प्रतिवर्ष पर 2 हजार की बढोतरी की जाएगी। पांच साल के कार्यकाल के बाद एमएलए को 48 हजार रुपए मासिक पेंशन मिलेगी। हरियाणा में 2018 में आरटीआइ से मिली सूचना के अनुसार 262 पूर्व एमएलए को जारी हो रही मासिक पेंशन में न्यूनतम राशि 90 हजार व अधिकतम राशि 2.25 लाख रुपए है।