देहरादून। उत्तराखंड राज्य की स्थिति अंधेर नगरी चौपट राजा की हो गई है यह कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का। दसौनी ने मुख्यमंत्री की विकास कार्यों से जुड़ी हुई 348 अधूरी योजनाओं के चलते सरकार और प्रसाशन की कार्यशैली पर कटाक्ष किया है ।
बुधवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान गरिमा ने कहा कि राज्य में आम गरीब जनता की कितनी सुनवाई है यह इस बात से पता लगाया जा सकता है की स्वयं मुख्या की आठ प्रमुख विभागों में 723 विकास कार्यों से जुड़ी हुई घोषणाओं में से 338 अभी अधूरी है। दसौनी ने बताया कि मुख्य सचिव आनंद वर्धन की समीक्षा बैठक के दौरान यह बात निकल कर आई।
गरिमा ने कहा कि युवा कल्याण, वन एवं पर्यावरण,धर्मस्व चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभागों में 50 फ़ीसदी से अधिक घोषणाएं अपूर्ण है।गरिमा ने कहा कि जुलाई 2021 से अब तक मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की उनमें युवा कल्याण विभाग में सबसे अधिक 78% घोषणा अधूरी है, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में 61% वन एवं पर्यावरण विभाग में 58% खेल विभाग में 44% व समाज कल्याण में 31% घोषणाओं को पूरा किया जाना है ।धर्मस्व विभाग में 51% घोषणाएं अपूर्ण है, जबकि पेयजल विभाग में 26% घोषणाओं पर अभी काम चल रहा है। संबंधित विभागों को लंबित घोषणाओं पर तेजी से काम करने और जो घोषणाएं व्यावहारिक नहीं है उन्हें निरस्त करने और जिन घोषणाओं में ज्यादा धनराशि की आवश्यकता है उनके लिए बाह्य सहायतित योजनाओं के तहत बजट जुटाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
गरिमा ने बड़ा सवाल किया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल को कुछ ही समय रह गया है ऐसे में कौन सी घोषणा व्यावहारिक है और कौन सी नहीं और किस घोषणा को निरस्त किया जाना चाहिए किसे नहीं यह फैसला लेने के लिए अधिकारी कब से अधिकृत हो गए? या सिर्फ यह माना जाए कि मुख्यमंत्री घोषणाएं जनता को बेवकूफ बनाने के लिए करते हैं और बाद में अधिकारी अपने स्तर पर उन्हें निरस्त कर देते हैं। क्योंकि घोषणाएं मुख्यमंत्री की है तो ऐसे में अधिकारी उन पर फैसला कैसे ले सकते हैं?
दसौनी ने कहा कि आज राज्य में यदि मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर ही अमल नहीं हो रहा है तो अधिकारी आम जनता और विपक्ष की कितनी सुन रहे होंगे यह समझा जा सकता है। और मुख्यमंत्री का अधिकारियों के ऊपर कितना कंट्रोल है घोषणाओं पर काम न होना भी उसी की बानगी है।