मुख्यमंत्री का एक और बड़ा फैसला मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को अब उनकी जमीन का मालिकाना हक देने की तैयारी

मुख्यमंत्री का एक और बड़ा फैसला मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को अब उनकी जमीन का मालिकाना हक देने की तैयारी

देहरादून। लगातार दूसरी बार सत्ता में आई  धामी सरकार एक बड़ी तैयारी में लगी हुई है। प्रदेश में कुल 63 नगर निकायों में 582 मलिन बस्तियां हैं। जिनमें तकरीबन 7 लाख से भी अधिक लोग निवास करते हैं। सभी मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को अब उनकी जमीन का मालिकाना हक देने की तैयारियां शुरू हो गई है। आवास एवं शहरी विकास सचिव शैलेश बगोली द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें जिलाधिकारियों और नगर निकायों को मलिन बस्तियों के लोगों को भूमि अधिकार, उनके सीमांकन एवं पंजीकरण के लिए 2016 की नियमावली के तहत गठित समिति के माध्यम से तीन श्रेणियों में बांटे जाने को कहा है।

श्रेणी एक में आवास-निवास योग्य हो और भू स्वामित्व अधिकार निर्धारित मानकों के अनुसार प्रदान किया जा सके।
श्रेणी दो में निवास लायक बनाए जा सकने वाले संवेदनशील क्षेत्र में अवस्थित निवासों के भू-भाग को वर्गीकृत किया जाना है, जिसमें कुछ सुरक्षा उपाय अपनाकर निवास योग्य बनाया जा सके। श्रेणी-तीन में ऐसी भूमि पर अवस्थित आवासों को वर्गीकृत किया जा सकता है, जहां भू-स्वामित्व अधिकार प्रदान किया जाना विधिक, सुरक्षा एवं स्वास्थ्य, मानव निवास के दृष्टिकोण उपयुक्त न हो। इस केस में बस्तियों का स्थानांतरण ही उचित होगा।

सचिव ने बस्तियों के वर्गीकरण के लिए डीएम व निकायों को एक महीने का समय दिया है। इस दौरान उन्हें शासन को रिपोर्ट सौंपनी होगी। सचिव ने कहा कि राजस्व व नगर निकाय के अधिकारियों के द्वारा सर्वे होने के बाद शासन को सूचना प्रेषित की जाए। मलिन जगहों में मूलभूत सुविधाओं के प्लाम बनाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चिह्नित मलिन बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, शौचालय आदि का प्लान भी बनाया जाए।

सचिव ने कहा कि मलिन बस्तियों के विनियमितीकरण, सुधार एवं पुनर्विकास के लिए जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति अपनी स्पष्ट सिफारिश जल्द शासन को भेजे, ताकि शासन में गठित प्रदेश स्तरीय समिति द्वारा उस पर निर्णय लिया जा सकें।

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