देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य निर्वाचन आयोग के दिनांक 6 जुलाई 2025 के राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव द्वारा जारी आदेश पर कड़ा ऐतराज़ जताया था जिसमें जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिया गया था कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम एक से अधिक ग्राम पंचायत या नगर निकाय की मतदाता सूची में दर्ज है, तो उसके नामांकन पत्र को रद्द न किया जाए।
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरीमा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम एक्ट 2016 संशोधित 2019 की धारा 9 की उप धारा 6 और 7 साफ तौर पर यह बात कहती है कि ऐसे किसी भी प्रत्याशी का नामांकन स्वीकार्य नहीं होगा जिसका नाम दो अलग अलग सूचियों में हो
गरिमा ने कहा कि निर्वाचन आयोग स्वयं ऐसे मामलों में नामांकन रद्द न करने का निर्देश दे रहा है, तो यह दोहरे मापदंडों को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि आदेश में यह स्पष्ट है कि ऐसे व्यक्तियों के नामांकन रद्द नहीं किए जाएं जिनका नाम एक से अधिक मतदाता सूचियों में है, लेकिन यह आदेश उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 9(6) का उल्लंघन करता है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ऐसे उम्मीदवार अयोग्य माने जाएंगे।
दसौनी ने कहा कि यह आदेश न सिर्फ पंचायती राज अधिनियम बल्कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के प्रावधानों के भी खिलाफ है। उन्होंने इसे राज्य सरकार की दमनकारी प्रवृत्ति और सत्ता की हेकड़ी का एक और उदाहरण बताया।
आज इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई और मुख्य न्यायाधीश ने 6 जुलाई 2025 को राज्य निर्वाचन आयोग सचिव के दिए गए आदेशों पर स्टे लगा दिया है ,दशौनी ने इसे सत्य और प्रजातंत्र की जीत बताया है।