उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मेडल हासिल हुआ तो खुशी से झूम उठे; जाने पूरी खबर

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मेडल हासिल हुआ तो खुशी से झूम उठे; जाने पूरी खबर

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने ऐसे लोगों में ज्ञान के दीप जलाए, जिन्हें रेगुलर विश्वविद्यालय में पढऩे का मौका नहीं मिल पाया। जब विद्यार्थियों को मेडल हासिल हुआ तो खुशी से झूम उठे। विद्यार्थियों ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा की वजह से ही हम उच्च शिक्षा हासिल कर सके हैं।पंजाब के मलोट निवासी नरेन्द्र शर्मा ने अंग्रेजी विषय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। सुचिता अवस्थी के निर्देशन में उन्होंने यह सफलता पाई। नरेन्द्र ने बताया कि वह डीएबी कालेज मलोट में अंग्रेजी विषय के एसोसिएट प्रोफेसर थे। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अंग्रेजी में पीचडी की।बाजपुर निवासी नवरूप कौर ने एमएससी में पोस्ट ग्रेजुएट कर गोल्ड मेडल हासिल किया। उन्होंने 73.58 प्रतिशत अंक हासिल किए। नवरूप ने बताया कि वह अब आइएएस की तैयारी करेगी। पढ़ाई की इस सफलता के लिए उसने कड़ी मेहनत की।गाजियाबाद निवासी राहुल जैन ने योग प्राकृतिक चिकित्सा विषय से स्नातक में गोल्ड मेडल हासिल किया। वह मदर डेयरी दिल्ली के प्रबंध मैनेजर हैं। राहुल ने बताया कि उन्होंने कोरोना संक्रमण के दौरान उन्होंने आनलाइन क्लास ली। वह डयूटी के अलावा लोगों को योग सिखाते हैं।

हरिद्वार की वृतिका शर्मा ने एमएससी में 72.50 प्रतिशत अंक हासिल कर पहला गोल्ड मेडल पाया। दूसरा गोल्ड उन्हें स्पांसर मेडल के लिए दिया गया। वृत्तिका ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई को तीन से चार घंटे दिए। वह सीए फाइनल वर्ष की छात्रा भी है।पाणी राखो आंदोलन चलाने वाले पर्यावरणविद व दूधातोली लोक विकास संस्थान के संस्थापक सच्चिदानंद भारती को मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। सच्चिदानंद पौड़ी गढ़वाल जिले के उपरैंखाल गांव के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के घटते जल स्रोत चिंता का विषय हैं। इन्हें बचाने के लिए लोगों को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने बारिश के पानी को संरक्षित किया। जिसे गाड़ गंगा का नाम दिया। इसे पीने योग्य बनाकर गाड़ खरक गांव के 25 लोगों के घर तक पहुंचाया। कहा कि भूजल नीति बनेगी तो पानी को बचाया जा सकता है।

पदमश्री नैनीताल निवासी अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर अनूप शाह को यूओयू के दीक्षा समारोह में मानद उपाधि मिली। अनूप शाह ने बताया कि यह उपाधि उनके लिए गौरव की बात है। उनका संबंध हमेशा पहाड़ों से रहा। बचपन में पिता ने कैमरा थमा दिया था। इसके बाद वह प्रकृति के करीब रहने लगे। उनके मन में प्रकृति के लिए कई तरह विचार चलने लगे। जिन्हें उन्होंने कैमरे में कैद करना शुरू कर दिया। कहा कि विल पावर हो तो कुछ भी संभव है। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी के लिए युवाओं में क्रेज तो बढ़ा, लेकिन बेहतर मंच नहीं मिल सका है।

 

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