उत्तराखंड: तीन मैदानी जिलों से जीडीपी का 70 प्रतिशत बाकी 10 जिलों का मात्र 30 प्रतिशत बढ़ रही क्षेत्रीय असमानता

उत्तराखंड: तीन मैदानी जिलों से जीडीपी का 70 प्रतिशत बाकी 10 जिलों का मात्र 30 प्रतिशत बढ़ रही क्षेत्रीय असमानता

 दून विनर/देहरादून।
भारत के राज्यों में स्वास्थ्य और बहुआयामी गरीबी सूचकांकों में सरकार के दावों के विपरीत उत्तराखंड का प्रदर्शन उल्लेखनीय नहीं है, परन्तु राज्य के भीतर 13 जिलों की हालत देखने पर क्षेत्रीय विषमता का भी भयावह रूप सामने आता है। सबसे पहले अल्मोड़ा और देहरादून की तुलना करें तो देहरादून सबसे खुशहाल जिला है परन्तु वहां की भी  6.88 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है, वहीं अल्मोड़ा जिले की 25.65 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है।
हरिद्वार में 24.76 प्रतिशत और उधमसिंह नगर में 23.20 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी में जीवन जी रही है। अन्य पर्वतीय जिलों में उत्तरकाशी में 24.28 प्रतिशत, चम्पावत में 22.41 प्रतिशत, बागेश्वर में 19.99 प्रतिशत, टिहरी में 19.50 प्रतिशत, चमोली में 16.8 प्रतिशत, पिथौरागढ में 13.96 प्रतिशत, रुद्रप्रयाग में 13.91 प्रतिशत, नैनीताल में 13.41 प्रतिशत और पौड़ी गढवाल में 11.93 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है।
उत्तराखंड के पर्वतीय भाग के जिलों की आर्थिकी को तुलनात्मक तौर देखना क्षेत्रीय असमानता की और बेहतर बानगी प्रस्तुत करता है। आर्थिकी के आकार के तौर पर हरिद्वार, उधमसिंह नगर और देहरादून जिले शेष 10 जिलों से काफी आगे हैं। उत्तराखंड सरकार के योजना विभाग ने वित्तीय वर्ष, 2011-12 से वित्तीय वर्ष, 2017-18(अनंतिम अनुमान) के जिला घरेलू उत्पाद के आंकड़े सार्वजनिक किए हैं। उत्तराखंड सरकार के योजना विभाग के वित्तीय वर्ष, 2017-18 के लिए अनंतिम अनुमान के मुताबिक चालू कीमतों पर उत्तराखंड का सकल घरेलू उत्पाद 22283604 लाख रुपए है। इसमें 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी हरिद्वार(30 प्रतिशत), देहरादून(20 प्रतिशत) और उधमसिंह नगर(20 प्रतिशत)केवल तीन जिलों की है, बाकी 10 जिलों का कुल घरेलू उत्पाद, राज्य के घरेलू उत्पाद का मात्र 30 प्रतिशत है। क्षेत्रीय विषमता के इस अंतर को प्रतिव्यक्ति आय से और अच्छी तरह देखा जा सकता है। चालू कीमतों पर वित्तीय वर्ष, 2017-18 में रुद्रप्रयाग जिले की सबसे कम प्रतिव्यक्ति आय (88987 रुपए) है, जबकि हरिद्वार जिले की प्रतिव्यक्ति आय सबसे ज्यादा(293078 रुपए) है। यह मामूली अंतर नहीं है, बल्कि प्रतिव्यक्ति आय में एक साल में 2 लाख रुपए से अधिक का अंतर है।
उधमसिंह नगर की प्रतिव्यक्ति आय 220429 रुपए वार्षिक और देहरादून जिले की प्रतिव्यक्ति आय 215064 रुपए वार्षिक है। निम्न प्रतिव्यक्ति आय वाले जिलों में दूसरे स्थान पर 93444 रुपए के साथ टिहरी गढवाल है, 98100 रुपए के साथ उत्तरकाशी जिला तीसरे क्रम पर है। इसके अलावा बाकी 7 जिलों की प्रतिव्यक्ति आय 1 लाख और 1 लाख 28 हजार के बीच में है। पर्वतीय जिलों में सबसे अधिक 127450 रुपए प्रतिव्यक्ति आय चमोली जिले की है, परन्तु पर्वतीय जिलों में सबसे बेहतर प्रतिव्यक्ति आय वाले चमोली जिले की प्रतिव्यक्ति आय भी हरिद्वार जिले के मुकाबले 1 लाख 66 हजार कम है। हरिद्वार, उधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले उत्तर प्रदेश के जमाने से ही आर्थिक मानकों और सुविधाओं की उपलब्धता के मामलों में उत्तर प्रदेश के बेहतर जिलों में गिने जाते थे, उत्तराखंड में भी उनका अग्रणी बने रहना बेहतर परिणाम तो कहलाएगा परन्तु इनके मुकाबले पर्वतीय जिलों की हालत काफी खराब बनी रहना उत्तराखंड के भाग्य विधाताओं पर सवाल है। चुनी हुई सरकारों को राज करते हुए दो दशक पूरे हो चुके हैं परन्तु पहाड़ों की लाखों की आबादी आज भी तुलनात्मक पिछड़ेपन के अभिशाप से मुक्त नहीं हो पाई है।
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