उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड भंग होने के बाद सरकार ने विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले श्री बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) का गठन कर दिया। भाजपा के युवा नेता एवं पूर्व दायित्वधारी अजेंद्र अजय भट्ट को बीकेटीसी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही समिति के उपाध्यक्ष, सीईओ और 13 सदस्यों की नियुक्ति भी कर दी गई है। इस संबंध में सचिव संस्कृति, धर्मस्व, तीर्थाटन प्रबंधन एवं धार्मिक मेला एचसी सेमवाल की ओर से सात जनवरी को अधिसूचना जारी कर दी गई थी।प्रदेश की भाजपा सरकार में त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्वकाल में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम लाया गया था। फिर इसके अंतर्गत चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन कर उसके दायरे में चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री सहित 51 मंदिर शामिल किए गए। चारधाम के तीर्थ पुरोहित लगातार इस अधिनियम व बोर्ड का विरोध करते आ रहे थे। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विषय के समाधान को उच्च स्तरीय समिति गठित की। फिर मंत्रिमंडलीय उपसमिति की सिफारिश पर मुख्यमंत्री ने पिछले वर्ष 30 नवंबर को देवस्थानम बोर्ड और इससे संबंधित अधिनियम को वापस लेने की घोषणा की।
दिसंबर में हुए विधानसभा के अंतिम सत्र में सरकार ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम निरसन विधेयक पारित कराया। राजभवन से इसे हरी झंडी मिलने के बाद देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड भंग कर दिया गया और फिर चारधाम के लिए पूर्व व्यवस्था बहाल कर दी गई। इस क्रम में बदरीनाथ व केदारनाथ की व्यवस्था के लिए श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ मंदिर अधिनियम 1939 प्रभावी हो गया, जिसके अंतर्गत अब फिर से बदरी-केदार मंदिर समिति गठित की गई है। यह समिति दोनों धामों की व्यवस्था देखेगी, जबकि शेष दो धामों की अपनी-अपनी मंदिर समितियां हैं।शासन की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार बीकेटीसी के अध्यक्ष पद अजेंद्र अजय भट्ट (रुद्रप्रयाग) को नियुक्त किया गया है। किशोर पंवार (चमोली) को उपाध्यक्ष और आइएफएस बीडी सिंह को समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बनाया गया है। सदस्यों में आशुतोष डिमरी, श्रीनिवासन पोश्ती, कृपाराम सेमवाल, जयप्रकाश उनियाल, बीरेंद्र असवाल, नंदा देवी, रणजीत सिंह राणा, महेंद्र शर्मा, भाष्कर डिमरी, पुष्कर जोशी व राजपाल सिंह जड़धारी शामिल हैं। ऋषि प्रसाद सती व आचार्य रामानंद सरस्वती को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। सभी का कार्यकाल तीन वर्ष होगा।