* सेना का इस्तेमाल वोट के लिए भाजपा की पुरानी प्रवृति:
सूर्यकांत धस्माना
देहरादून। ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा घोषित तिरंगा यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन व प्रशासन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कांग्रेस ने सेना का मनोबल बढ़ाने व उनके प्रति अपना पूर्ण समर्थन प्रदर्शित करने के लिए पूरे देश में तिरंगा यात्रा तब निकाली जब देश की सेना दुश्मनों से सीमा पार व सीमा पर लोहा ले रही थी और लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून समेत पूरे देश के अलग अलग हिस्सों में इस प्रकार की तिरंगा जय हिंद यात्रा निकाल कर अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाया अब भाजपा वोट की खातिर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को भुनाने के लिए कल से तिरंगा यात्रा निकाल रही है इस पर कांग्रेस को कोई ऐतराज नहीं है किन्तु कांग्रेस का यह कहना है कि तिरंगा यात्रा निकालने से पहले भारतीय जनता पार्टी को व देश के प्रधानमंत्री को देश की जनता के मन में जो सबसे बड़ा सवाल आज पैदा हो गया है उसका उत्तर देना चाहिए कि भारत की सुरक्षा आत्मरक्षा और संप्रभुता का निर्णय अमरीका को करने का अधिकार किसने दिया?
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए धस्माना ने कहा कि जब से भारत पाकिस्तान के संक्षिप्त युद्ध के सीजफायर का ऐलान अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने किया और फिर लगातार वो भारत पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्ता और सोमवार को रात्रि आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के के राष्ट्र के नाम संबोधन से पूर्व दुनिया के नाम अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का संबोधन जिसमें वो स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि उन्होंने डांट डपट कर और धमका कर भारत पाकिस्तान का युद्धविराम करवाया इन तीनों वक्तव्यों पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व भारतीय जनता पार्टी को देश की जनता को बताना होगा कि हमारे देश की रक्षा व्यापार और विदेश नीति को कौन चला रहा है भारत या अमरीकी राष्ट्रपति? श्री धस्माना ने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण व राष्ट्रीय सुरक्षा व राष्ट्र की अस्मिता व सम्मान से जुड़ा प्रश्न है जिसका जवाब हर हाल में देश जानना चाहता है।
धस्माना ने कहा कि वोट के लिए सेना का व शहीदों का इस्तेमाल करना मोदी जी व भाजपा की पुरानी प्रवृति है किन्तु इस बार जिन परिस्थितियों में सीजफायर की घोषणा हुई है और कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण हुआ है यह अकल्पनीय व अविश्वस्नीय है और क्या इसमें भारत के प्रधानमंत्री की सहमति है इसका स्पष्टीकरण भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को स्वयं आगे आ कर देना पड़ेगा।