देहरादून। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने पूर्व सीएम हरीश रावत के पार्टी छोड़ने वाले नेताओं पर किये कटाक्ष को अपमानजनक बताया।
चौहान ने कहा कि अब हरदा को ही स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी मे कितने दागी हैं, क्योंकि कांग्रेस छोड़ने वाले हर नेता उनकी नजर मे पापी है। उन्होंने कहा कि भाजपा मे कार्यकर्ता का सम्मान है और इसी कारण कांग्रेस सहित दूसरे दलों से लोग भाजपा का रुख कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस से विधायक हों या बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ने की बात नयी नही है। वर्ष 2016 मे कांग्रेस मे हुई एक बड़ी टूट के लिए तत्कालीन विधायकों ने हरदा की नीतियों और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया था। ऐसे अनगिनत चेहरे हैं जो कांग्रेस या दूसरे दलों मे हैं, लेकिन हरदा की महत्वाकांक्षा को कांग्रेस के गर्त मे ले जाने के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। वहीं परिवारवाद के पुरोधा रहे हरदा पूरी कांग्रेस को एक रिमोट से चला रहे हैं तो असंतोष स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि गंगा मैली हो या शुद्ध अथवा उसका स्वरूप कैसा हो हरदा इसे भी स्वार्थ के चश्मे से देखते हैं। स्वार्थ के लिए तो हरदा सीएम रहते हुए गंगा को नाले का स्वरूप दे चुके हैं और अब पार्टी छोड़ने वालों को गंगा से तुलना कर रहे हैं जो कि निरर्थक है। हरिद्वार मे गंगा उन्हे इस बार सच्चाई का बोध कराने वाली है।
चौहान ने कहा कि भाजपा मे पीएम मोदी और सीएम धामी के विकास से प्रभावित और भाजपा की रीति, नीति और सिद्धांतों मे विश्वास रखने वालों का स्वागत और सम्मान किया जाता रहा है। अनुशासित पार्टी के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की जाती रही। भाजपा मे कांग्रेस की भाँति खाता न बही हरीश रावत कहे वही सही की परंपरा नही है। सालों तक कांग्रेस के स्तंभ रहे कार्यकर्ता अब उन्हे पापी नजर आ रहा है तो यह उनका दृष्टि दोष ही कहा जा सकता है।
उन्होंने कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा चुनाव हथियाने की कोशिश नही कर रही, बल्कि कांग्रेस के हिडन एजेंडे को लेकर पीएम चेता रहे हैं। कांग्रेस अब तक बहुसंख्यकों को देश मे दोयम दर्जे का नागरिक मानती रही और डॉ मनमोहन सिंह ने अपने इरादे भी जता दिये थे, लेकिन जनता ने कांग्रेस के इरादों पर ग्रहण लगा दिया। अब उसके घोषणा पत्र से जो इरादे सामने आये उससे कांग्रेस बौखला गयी है और अमर्यादित बोल रही है, जिसका जनता जवाब देगी।