प्रधानमंत्री मोदी के भरोसे कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत

प्रधानमंत्री मोदी के भरोसे कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत

श्रीनगर। चुनावी महाभारत अपने आखिरी दौर में है। चुनावी चक्रव्यूह में फंस चुके कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने जीत के लिये गुरुवार को श्रीनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली आयोजित से यह तो स्पस्ट हो गया है कि डॉ धन सिंह रावत अपने दम पर चुनाव जीतने में सक्षम नही है। यह प्रतिक्रिया पीएम मोदी की रैली के बाद स्थानीय मतदाताओं के मध्य से निकल कर आ रही है। स्थानीय जनता का कहना है कि पहले चार साल तो मंत्री के पंख लगे हुये थे उन्हें तो मुख्यमंत्री बनना था,जब चुनाव का समय आया तो डॉ धनसिंह रावत जमीन पर उतरे और आनन फानन में योजनाएं और केंद्रीय मंत्रियों के दौरे शुरू होने लगे। अब सवाल उठता है कि कहीं जनता इस चुनाव में डॉ धनसिंह रावत को जमीन दिखाने का इरादा तो नही कर चुकी है? डॉ धनसिंह रावत की राजनीतिक पृष्ठभूमि संघ एवं संगठन में जितनी सशक्त है उतनी मजबूती धरातल पर नही दिखती है। इसी दम में 2012 में वह टिकट पाने में तो सफल रहे किन्तु अपना पहला चुनाव में वह कांग्रेस के गणेश गोदियाल हार गये।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ‘खंडूरी है जरूरी’ के नारे के बावजूद उक्त चुनाव में डॉ धनसिंह रावत को 5063 वोटों के अंतर से शिकस्त मिली थी। 2017 के चुनाव में डॉ धनसिंह रावत संघ एवं संगठन में अपनी पहुँच के बल पर मतदान से ठीक 3 दिन पहले 11फरवरी को श्रीनगर में नरेंद्र मोदी की जनसभा आयोजित करवाने में सफल रहे। तब जाकर डॉ धन सिंह की चुनावी नय्या लग सकी। हालाकिं तब अनेक लोगों ने कहा था कि हमने तो मोदी को वोट दिया है। शायद इसी लिये वह इस बार भी वह मोदी के नाम से जनता से वोट मांग रहें हैं। यह बात किसी से छुपी नही है कि अनेक अवसरों पर उत्तराखंड सरकार में मंत्री रहते हुए भी क्षेत्र में डॉ धनसिंह को स्थानीय मुद्दों पर जनविरोधों का समाना करना पड़ा था वह मोदी की कृपा से मिले जनमत को संभालने में असफल नजर आये।
श्रीनगर में पीएम मोदी की जनसभा में डॉ धनसिंह रावत
2022 में एक बार फिर राजनीतिक ज़मीन खिसकते देख डॉ धनसिंह रावत मोदी की शरण मे पहुचे और मतदान से ठीक 4 दिन पूर्व 10 फरवरी को जनसभा करने में सफल हो गये। इसमें कोई दोराय नही कि भाजपा के लिए मोदी चुनाव में जीत का पर्याय बन चुके है। वही श्रीनगर की जनता ने भी बारी-बारी से काँग्रेस व भाजपा को अवसर दिया है।
2002 में कांग्रेस से  स्वर्गीय सुंदरलाल मंद्रवाल तो 2007 मे भाजपा के बृजमोहन कोटवाल को जिताया, 2012 के चुनाव में गणेश गोदियाल श्रीनगर से उत्तराखंड विधानसभा पहुँचे तो 2017 में मोदी के भरोसे डॉ धनसिंह रावत पहली बार विधायक बने। ऐसे में अब देखना बड़ा रोचक होगा कि इस बार जनता कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को चुनती है या फिर मोदी के भरोसे चुनाव लड़ रहे डॉ धनसिंह रावत को विधानसभा भेजती है।

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