देहरादून। नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने आज गुरुवार को देहरादून में कर्मेंद्र सिंह, आयुक्त, निशक्तजन, उत्तराखंड से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में राज्य में पर्यटन स्थलों तक निशक्तजनों की पहुंच की राह में आने वाली बाधाओं और खामियों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
“सुगम्य भारत अभियान” इस वर्ष जून में समाप्त होने के मद्देनजर, एनसीपीईडीपी ने उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटन स्थलों की स्थिति की समीक्षा की और ऋषिकेश में महत्वपूर्ण स्थलों पर निशक्तजनों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को मापने की पहल की।
अरमान अली के साथ एनसीपीईडीपी फेलो जावेद आबिदी और साक्षी चौहान की टीम ने उत्तराखंड में ऋषिकेश और देहरादून के विभिन्न पर्यटन स्थलों का दौरा किया और वहां के पर्यटन स्थलों तक निशक्तजनों की पहुंच से जुड़े मुद्दों और बाधाओं से आयुक्त कर्मेंद्र सिंह को अवगत कराया।
अरमान अली ने कहा कि “चूंकि उत्तराखंड मई-जून 2023 में G20 प्रेसीडेंसी बैठक की मेजबानी करने जा रहा है और जी20 देशों के प्रतिनिधि राज्य का दौरा करेंगे, ऐसे समय में निशक्तजनों की पहुंच से जुड़े मुद्दों को भी गंभीरता से लेने की जरूरत है। भारत की G20 प्रेसीडेंसी का मंत्र है- ‘वसुधैव कुटुम्बकम- एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य! इस मंत्र के तहत हम एक ऐसी समावेशी दुनिया के लिए प्रयास कर रहे हैं जहां कोई भी पीछे न छूटे।”
आयुक्त कर्मेंद्र सिंह ने एनसीपीईडीपी द्वारा की गई सिफारिशों को गौर से सुना, और इस मामले में कारगर पहल करने का वादा किया। उन्होंने कहा कि हम निशक्तजनों की समस्याओं और उनसे जुड़े मुद्दों को लेकर काफी गंभीर हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे कि निशक्तजनों को पूरे उत्तराखंड में किसी भी पर्यटन स्थल तक पहुंचने में कोई समस्या न हो।
अरमान अली ने बताया कि एनसीपीईडीपी की टीम ने त्रिवेणी घाट, जानकी सेतु और राम झूला का दौरा किया। हालांकि इन सभी जगहों पर रैम्प बनाये गये हैं, लेकिन वे निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं हैं। शहर में ऐसे मॉल और दुकानें हैं, जिनमें रैंप का निर्माण किया गया है लेकिन बिना सहायता के उन तक नहीं पहुंचा जा सकता है। रिवर राफ्टिंग, जो ऋषिकेश में पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, निशक्तजनों के लिए सुलभ नहीं है। उन्होंने दोनों शहरों में प्रमुख सार्वजनिक स्थानों और परिवहन में निशक्तजनों के लिए उपलब्ध सुविधाओं की भी चर्चा की।