उत्तराखंड: महाविद्यालयों को मिलेगी स्थाई सम्बद्धता, मानकों पर उतरना होगा खरा

उत्तराखंड: महाविद्यालयों को मिलेगी स्थाई सम्बद्धता, मानकों पर उतरना होगा खरा

* राज्य विश्वविद्यालय तैयार करेंगे भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित करिकुलम

* द्वितीय कुलपति गोलमेज सम्मेलन-2024 में लिये गये कई अहम निर्णय

* पायलट प्रोजेक्ट के तहत ऑनलाइन होगा उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन

देहरादून। सूबे के राज्यकीय विश्वविद्यालयों एवं उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों में एनईपी-2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित करिकुलम लागू करना होगा। इसके लिये विश्वविद्यालयों को समितियों का गठन कर पाठ्यक्रम तैयार करना होगा। राज्य विश्वविद्यालयों में समय पर परीक्षा परिणाम घोषित हो इसके लिये परीक्षा मूल्यांकन प्रकिया को डिजिटलाइज़ किया जायेगा। प्रथम चरण में प्रत्येक विश्वविद्यालय को उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन हेतु पायलट प्रोजेक्ट के रूप में डिजिटल प्रक्रिया शुरू करेंगे। इसके साथ ही मानक पूर्ण करने वाले शासकीय एवं निजी शिक्षण संस्थानों को स्थाई सम्बद्धता प्रदान की जायेगी। इसके लिये एफिलिऐटिंग विश्वविद्यालय परीक्षण के उपरांत स्थाई मान्यता प्रदान करेगा।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में शनिवार को दून विश्वविद्यालय परिसर में द्वितीय कुलपति गोलमेज सम्मेलन-2024 का आयोजन किया गया। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में एनईपी-2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किये जाने पर सहमति बनी। जिसे राज्य विश्वविद्यालय व उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों में लागू किया जायेगा। इसके लिये विश्वविद्यालय अपने स्तर से पाठ्यक्रम समितियों का गठन कर अलग-अलग विषयों का करिकुलम तैयार करेंगे।

राज्य विश्वविद्यालयों एवं उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों में परीक्षा परिणाम समय पर घोषित किये जाने के दृष्टिगत प्रत्येक विश्वविद्यालय प्रथम चरण में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किसी एक संकाय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन डिजिटल माध्यम से करायेगा। उत्तर पुस्तिकाओं के डिजिटली मूल्यांकन के बेहतर रिजल्ट के दृष्टिगत इसे भविष्य में पूरी तरह से डिजिटलीकरण कर दिया जायेगा। सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि पांच साल पूरे कर चुके राजकीय महाविद्यालयों को सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने पर स्थाई मान्यता दे दी जायेगी जबकि निजी शिक्षण संस्थानों को सभी संसाधनों की उपलब्धता पर तीन वर्ष में स्थाई मान्यता दे दी जायेगी। जिसका समय-समय पर विश्वविद्यालय द्वारा भौतिक परीक्षण भी किया जायेगा। इसके अलावा सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति अपनी टीम के साथ देश के दो-दो नामी विश्वविद्यालयों का भ्रमण करेंगे। इसके अलावा उच्च शिक्षा विभागीय की पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी दो देशों का शैक्षणिक भ्रमण करेगी। प्रत्येक वर्ष अन्तर विश्वविद्यालय सांस्कृतिक एवं खेलकूल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा, राज्य में एनसीसी को बढ़ावा देने के लिये हाल ही में भारत सरकार से स्वीकृत 7500 सीटों का शीघ्र आवंटन किया जायेगा। जिसके लिये सभी महाविद्यालय प्रस्ताव भेजेंगे।

उच्च शिक्षा विभाग एवं राज्य विश्वविद्यालय अपना-अपना सोशल मीडिया पेज बनाकर शैक्षणिक एवं अन्य गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध करायेंगी। जिसकी समय-समय पर शासन स्तर पर समीक्षा की जायेगी। विकसित भारत-2047 के तहत सभी विश्वविद्यालय नई थीम को लेकर कार्यशाला आयोजित करेंगे। जिसमें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित व्यक्तियों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों के साथ ही शोध छात्रों व जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जायेगा। जिसके लिये प्रत्येक विश्वविद्यालय को नोडल अधिकारी नामित करना होगा।

सम्मेलन में उच्च शिक्षा उन्नयन समिति के उपाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र भसीन, सचिव उच्च शिक्षा डॉ. रणजीत सिन्हा, कुलपति कुमाऊं विवि प्रो. डी.एस. रावत, कुलपति श्रीदेव सुमन विवि प्रो. एन.के. जोशी, कुलपति तकनीकी विवि प्रो. ओंकार सिंह, कुलपति जीबी. पंत विवि प्रो. एम.एस. चौहान, कुलपति भरसार विवि प्रो. परविन्दर कौशल, कुलपति आयुर्वेदिक विवि प्रो. ए.के. त्रिपाठी, कुलपति दून विवि प्रो. सुरेखा डंगवाल, सलाहकार उच्च शिक्षा प्रो. एम.एस.एम. रावत, निदेशक उच्च शिक्षा प्रो अंजू अग्रवाल के साथ ही सभी राज्य विवि के कुलसचिव व शासन के अधिकारी उपस्थित रहे।

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