चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रबल दावेदार कवींद्र इस्टवाल

चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रबल दावेदार कवींद्र इस्टवाल

बाबूराम बौड़ाई /पौड़ी।  प्रदेश में तेज़ हो रही आगामी विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के बीच चौबट्टाखाल विधानसभा की राजनीति एक बार फिर गर्मा गयी है। हाल ही में चौबट्टाखाल में आयोजित हुई, हरीश रावत की विशाल जनसभा में उमड़े जनसैलाब ने भाजपा को जरूर परेशान कर दिया है। प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस की रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है उससे साफ़ है कि इस बार चौबट्टाखाल और प्रदेश की जनता परिवर्तन के मुंड मे हैं।

चौबट्टाखाल जनसभा के माध्यम से क्षेत्र के सबसे तेज तरार जुझारू नेता कांग्रेस के प्रबल दावेदार कवींद्र इस्टवाल ने अपने विरोधियों तक यह सन्देश पहुंचा दिया है कि ना सिर्फ संगठन में बल्कि अपने क्षेत्र की जनता के दिलों में भी उन्होंने विशेष जगह बनाई है।  चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र मे मौजूद शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और स्थानीय समस्याओं को वो बेहद करीब से जानते हैं। उन्हें इस बात का सटीक ज्ञान है कि यहां महिलाओं और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किस दिशा में कार्य करना होगा।

कोरोना काल जैसे दौर में जब लोग अपनी और अपनों की कुशलता के लिए घरों से बाहर निकलने को तैयार नहीं थे, तब चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र में जनता की सुरक्षा के लिए कविंद्र इस्टवाल ने अपने परिवार से दूर रहकर जनता को प्राथमिकता दी। क्षेत्र में प्रत्येक जरूरतमंद तक राहत सामग्री और कोरोना किट उपलब्ध करवाई। इस बात में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि जमीन से जुड़े इस जुझारू नेता को चौबट्टाखाल की जनता का असीम प्रेम और स्नेह मिलता रहा है। वह कहते हैं कि अपने लोगों की सेवा में सदैव तत्पर रहना और उनकी प्रत्येक समस्या का अपने स्तर पर समाधान करना मेरा एकमात्र लक्ष्य है।

विगत कई वर्षों से वो सक्रीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।  बिना किसी व्यक्तिगत लोभ के क्षेत्र को अपना सर्वस्व समर्पित करते हुए, निस्वार्थ भाव से क्षेत्र के लिए कार्य कर रहे है। वर्तमान में उन्होंने क्षेत्र के दायित्व के लिए अपनी दावेदारी पेश की है, जिसका एक मात्र लक्ष्य क्षेत्र में विकास करना और अपने लोगों की सेवा करना है। कवींद्र इस्टवाल ने बहुत पहले ही लोगों के समक्ष यह साफ़ कर दिया था कि वो चुनावी वादों और हवाई योजनाओं के बल पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। हम देख सकते हैं कि चुनाव के इस दौर में विभिन्न प्रत्याशी जनता के दरवाज़े पर स्वयं को जन प्रतिनिधि बनाये जाने का आग्रह लेकर पहुंच रहे हैं। ऐसे संभावित प्रत्याशी जो चंद माह पहले लोगों के बीच आये हैं और अब स्वयं को उनकी कुशल क्षेम के सबसे बड़े संरक्षक के रूप में दर्शा रहे हैं। धन बल का प्रयोग कर जनता को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं। दूसरी ओर कविंद्र इस्टवाल हैं, चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र उनकी जन्मभूमि है और इस स्थान से उनका भावनात्मक संबंध है। पद का इंतज़ार किये बिना उन्होंने क्षेत्र की महिलाओं को लघु कार्यों के रूप में छोटे छोटे अवसर देकर और जंगली जानवरों से क्षेत्र की सुरक्षा में अपनी नीतियों का विवरण देकर, यह साफ कर दिया है कि वो चौबट्टाखाल के लिए दूरदर्शी योजनाओं का सृजन करेंगे। कवींद्र इस्टवाल निश्चित तौर पर एक ऐसे प्रतिनिधि हैं, जो नेता होने का रुआब नहीं, बेटा होने का दायित्व निभाएंगे।

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