उत्तराखंड सचिवालय का भ्रष्ट समीक्षा अधिकारी घूस लेते चढा विजिलेंस के हत्थे

उत्तराखंड सचिवालय का भ्रष्ट समीक्षा अधिकारी घूस लेते चढा विजिलेंस के हत्थे

संवाददाता/देहरादून 
उत्तराखंड के शासनतंत्र के दिमाग कहे जाने वाले उत्तराखंड सचिवालय में घूस-रिश्वत का कालाधंधा बदस्तूर फलने-फूलने का नया मामला सामने आया है। फरवरी के आखिरी दिन सचिवालय में तैनात समीक्षा अधिकारी कमलेश्वर प्रसाद थपलियाल को विजिलेंस की टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोचा। रिश्वत सिंचाई विभाग के रिटायर जेई की रुकी हुई ग्रेच्युटी को जारी करने और सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर न करने के एवज में मांगी गई थी। विजिलेंस सेक्टर देहरादून के मुताबिक आरोपी ने रुकी ग्रेच्युटी व फंड के भुगतान के एवज में 1 लाख रुपए रिश्वत मांगी थी जिसमें 75 हजार पर रजामंदी हुई। 28 फरवरी को कमलेश्वर थपलियाल को रिश्वत की रकम लेते रंगे हाथों सचिवालय गेट पर ट्रेप करवाया। मामले में आरोपी संचाई विभाग के अनुभाग अधिकारी के कहने पर सचिवालय के बाहर गया था। अनुभाग अधिकारी का नाम भी मुकदमे में शामिल किया गया है। वहीं, सतर्कता विभाग के निदेशक अमित सिन्हा ने विजिलेंस टीम को 10 हजार का इनाम देने की घोषणा की है।

क्या था मामला :
विजिलेंस से मिली जानकारी के अनुसार 25 फरवरी 2022 को शिकायतकर्ता महेश चंद्र अग्रवाल ने एक पत्र विजिलेंस को दिया था। इस पत्र में बताया गया कि उनके पिता किशन चंद अग्रवाल 30 अप्रैल 2008 को उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अंतर्गत मनेरीभाली परियोजना से जेई के पद से  सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के दौरान सिंचाई विभाग स्टोर से सम्बंधित कुछ सामान के गायब हो जाने पर उनकी ग्रेच्युटी से साल 2013 में कटौती की गई। किशन चंद अग्रवाल ने अपने भुगतान लंबित होने के चलते उत्तराखंड ट्रिब्यूनल कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल न्यायालय ने उनके पक्ष में निर्णय दिया। इसके विरोध में विभाग हाईकोर्ट गया पर हाईकोर्ट ने भी किशन चंद अग्रवाल के पक्ष में ही फैसला सुंनाया। इसी सिलसिले में शिकायतकर्ता ने सिंचाई विभाग के अनुभाग अधिकारी से बात की। गत 22 फरवरी को अनिल पुरोहित ने फोन कर उन्हें अपने ऑफिस बुलाया। 24 फरवरी को शिकायतकर्ता अपने पिता किशन चंद अग्रवाल के साथ उन्हें मिलने गए। वहां पर अनिल पुरोहित के साथ कमलेश्वर प्रसाद नाम का समीक्षा अधिकारी भी मौजूद था। इन दोनों ने ग्रेच्युटी जारी करने और हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर न करने के बदले एक लाख की रिश्वत मांगी। इसके बाद विजिलेंस ने अपना जाल फैलाया। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए 28 फरवरी देर शाम को शिकायतकर्ता 75 हजार रुपए लेकर सचिवालय पहुंचे। अनुभाग अधिकारी अनिल पुरोहित ने समीक्षा अधिकारी कमलेश्वर प्रसाद थपलियाल को घूस की रकम लेने बाहर भेजा। जैसे ही अग्रवाल ने कमलेश्वर प्रसाद थपलियाल को रिश्वत के रुपए दिए विजिलेंस की टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। आरोपी कमलेश्वर थपलियाल के खिलाफ अधिनियम 1988, संशोधित अधिनियम 2018 की समुचित धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर जांच जारी है। अनिल पुरोहित को भी मामले में आरोपी बनाया गया है।

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