भारतीय संस्कृति श्रेष्ठ संस्कृति, हमें धर्म और संस्कृति को आचरण में लाना है जरूरी: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

भारतीय संस्कृति श्रेष्ठ संस्कृति, हमें धर्म और संस्कृति को आचरण में लाना है जरूरी: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

ऋषिकेश। शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन में एक धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए। यहां उन्होंने कहा कि 142 करोड़ लोग भारत की रीढ़ की हड्डी के मनके हैं। भारतीय संस्कृति श्रेष्ठ संस्कृति है। हमें धर्म और संस्कृति को आचरण में लाना जरूरी है। हमें अपनेे धर्म को प्रत्यक्ष रूप से आचरण में उतारना होगा।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के 72वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर आयोजित धार्मिक अनुष्ठान के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि सनातन धर्म पर हमारी सृष्टि है, धर्म नहीं तो सृष्टि नहीं लिहाजा उसे पहचान कर उस पर चलने वाले सुखी रहेंगे।
कहा कि जो बाते विज्ञान की उपयोगी है वह हमारे वेदों में उपलब्ध है। हमारे पास पहले से ही ज्ञान भी है और विज्ञान भी है। सनातन धर्म अपना काम करता है, सनातन धर्म अपने विधि-विधान के अनुसार अपना कार्य करेगा उसे पहचानकर हमें उन संस्कारों को स्वीकार कर चलना होगा तो हम सुखी रहेंगे। संतों के आचरण में धर्म रहता है, धर्म सर्वत्र कार्य करता है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत का मान पूरे विश्व में बढ़ा रहे हैं। उन्हें यह संस्कृति और संस्कार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से मिले हैं। क्योंकि यह व्यक्ति की नहीं वैश्विक संस्था है। उन्होंने कहा कि भारत ही पूरे विश्व को शान्ति का मंत्र दे सकता हैं क्योंकि भारत एक जमीन का टुकड़ा नहीं बल्कि शान्ति की भूमि है। भारत का मंत्र ही है वसुधैव कुटुम्बकम्।
जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज, कथाकार संत मुरलीधर महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द, साध्वी भगवती आदि मौजूद रहे।

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