दून विनर/देहरादून। लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान हुआ। उम्मीद की जा रही थी कि इस बार मतदान के पिछले सभी रिकॉर्ड टूटेंगे परन्तु तमाम कोशिशो के बाद भी मतदान कम रहा।
हर तरह प्रचार और जागरूकता की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तराखंड का मतदाता बड़ी संख्या में अपने घरों से बाहर नहीं निकला। नतीजा यह रहा कि लोकसभा चुनाव में 55.89% प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया और वोटिंग प्रतिशत पिछली बार से भी कम हो गया। हकीकत में 55.89% मतदान बीते दो लोकसभा चुनावों के मुकाबले कम है। उत्तराखंड में वर्ष 2014 में 62.15 और वर्ष 2019 में 61.50 प्रतिशत मतदान हुआ था। हालांकि मतदान का अंतिम आंकड़ा आज शनिवार देर रात तक आने की संभावना है।
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय जोगदंडे का कहना है कि अंतिम प्राप्त आंकड़ों के आधार पर शुक्रवार को कुल 55.89 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसमें अल्मोड़ा सीट पर 46.94%, गढ़वाल में 50.84, टिहरी में 52.57, नैनीताल में 61.35 व हरिद्वार सीट पर 62.36% मतदान हुआ। इसमें करीब 1.20 लाख पोस्टल बैलेट शामिल नहीं हैं। पोस्टल बैलेट शनिवार तक प्राप्त हो सकते हैं। निर्वाचन टीमों की पूरी तरह वापसी के बाद मत प्रतिशत में अंतर आ सकता है।
आपको बताते चलें कि चुनाव आयोग ने उत्तराखंड में इस बार 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा था। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इसकी कई वजह भी हैं। कई जगह नाराज मतदाताओं ने मतदान ही नहीं किया और इस बार पिछली बार से भी अधिक मतदान बहिष्कार हुआ है। 2019 में जहां 10 स्थानों पर चुनाव का बहिष्कार हुआ था, वहीं इस बार के चुनाव में यह आंकड़ा 25 को पार कर गया है। कुछ सीटो पर प्रत्याशी मतदाताओ को आकर्षित नही कर पाए। इस दिन बड़ी संख्या में विवाह होना भी कम मतदान का एक कारण माना जा रहा है।
इस बार अल्मोड़ा सीट पर सबसे कम 46.94% मतदान रहा तो वहीं हरिद्वार सीट पर सबसे अधिक 62.36% मतदान रहा।