‘मंत्री जी’ सहकारी बैंकों में ये क्या हो रहा है?

‘मंत्री जी’ सहकारी बैंकों में ये क्या हो रहा है?

दस सहकारी बैंकों में चल रही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती में से अभी तक तीन जिला सहकारी बैंकों के परिणाम आने के बाद ही अभ्यर्थियों के चयन में भाई-भतीजाबाद से लेकर अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत के आरोपों ने विपक्षी दल कांग्रेस को सरकार पर हमलावर होने का मौका दिया है। हालांकि इस मामले में शेष बैंकों के लिए भर्ती परिणाम जारी करने पर रोक लगी है और सामने आए परीक्षा परिणाम पर जांच चल रही है, पर विपक्ष का कहना है कि निष्पक्ष जांच के लिए विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को भी हटाया जाए।

दून विनर /देहरादून

उत्तराखंड के जिला सहकारी बैंक में ग्रुप डी कर्मचारियों की भर्ती में घोटाले के आरोप लगने के बाद मामले की जांच के लिए विभाग की शासन स्तर से जांच समिति बनाई गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहकारी बैंकों में भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितता व भाई-भतीजावाद की शिकायतों के बाद यह निर्देश दिया था। सचिव सहकारिता मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार इस जांच को पूरा करने के लिए एक पखवाड़े का समय निर्देशित है, पर समय सीमा गुजरने के बावजूद जांच रिपोर्ट के बारे में कोई सुराग नहीं मिल रहा है। ऐसे में जांच के आधार पर कोई एक्शन लेने या नहीं लेने की बात भी बेमानी हो गई है। कमाल की बात ये है कि दो सालों से चल रही भर्ती प्रक्रिया की निगरानी में कोताही बरतने वाले विभाग के अधिकारियों पर ही भर्ती में हुए कथित घपले की सच्चाई पर से पर्दा उठाने की जिम्मेदारी डाली गई है। इस जांच समिति के अध्यक्ष उपनिबंधक(कुमाऊं) सहकारी समितियां नीरज बेलवाल हैं।

जांच समिति के सदस्य उपनिबंधक (गढवाल) सहकारी समितियां मान सिंह सैनी का ट्रेक रिकॉर्ड भी विवादों से परे नहीं है। मुख्यमंत्री और शासन के सम्मुख भर्ती घोटाले की शिकायतें आने के बाद जब हो हल्ला शुरू हुआ तो मुुख्यमंत्री ने कड़े तेवर दिखाए। उनके निर्देश पर शासन ने कार्यवाही कर चार महाप्रबन्धक(जीएम) व चार जिला सहायक निबंधक की कुर्सियां बदल दी। जीएम पिथौरागढ़ सुरेंद्र कुमार प्रभाकर, जीएम ऊधमसिंहनगर रामअवध, जीएम अल्मोड़ा नरेश कुमार को मुख्यालय अटैच कर दिया गया है। टिहरी के जीएम को देहरादून, नैनीताल के जीएम को अल्मोड़ा का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। ऊधमसिंहनगर और पिथौरागढ़ में डीजीएम को जीएम का चार्ज दिया गया। जिला सहकारी बैंक देहरादून की जीएम वंदना श्रीवास्तव का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया। वंदना श्रीवास्तव का कार्यकाल 30 सितम्बर 2021 को समाप्त हो गया था, लेकिन उन्हें 31 मार्च 2022 तक छह महीने का सेवा विस्तार दिया गया था। इस सेवा विस्तार को नियमों के विपरीत दूसरी बार बढ़ाया गया था। शासन के आदेश के अनुसार चार जिलों के सहायक निबंधकों को हटा दिया गया है। देहरादून के एआर एडीसीईओ भारत सिंह से उनका चार्ज हटा दिया गया है। हरिद्वार के सहायक निबंधक राजेश चौहान को देहरादून, सुरेंद्र पाल को पिथौरागढ़ से हरिद्वार, हरीश चंद्र खंडूडी को अल्मोड़ा से चंपावत, मनोहर सिंह मर्तोलिया को चंपावत से पिथौरागढ़ स्थानांतरित किया गया। बताया जा रहा है कि नियुक्ति घोटाले की जांच प्रभावित न हो, इसलिए ये कार्रवाई की जा रही है। पूर्व में भी भर्तियों में गड़बड़ी के आरोपों और जमाकर्ताओं के पैसे गबन के इल्जामात ने सहकारी बैंकों के उद्देश्यों पर भारी आधात किया है। घपले का आरोप लगने के बाद जांच कराई जाती है और उसके बाद दूसरे घपले की खबर आती है, जिसके बाद पहले कराई गई जांच पर कार्रवाई की बात दब जाती है।
उधर अल्मोड़ा जिले में भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत से जुड़ा एक मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। सहकारी बैंकों में गु्रप डी कर्मचाारियों की भर्ती में गड़बड़ी के आरोपों का ताजा मामला, चुनाव के बाद कुछ दिनों पहले ही अस्तित्व में आई भाजपा की पुष्कर सिंह धामी सरकार के लिए भी परेशानी का सबब बन रहा है। भर्ती में घपले के आरोपों से विपक्षी दलों के निशाने पर आए विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाने की बात कही है।

सरकार को घेर रहे विपक्षी दल

देहरादून, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर जिलों में सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती में घपले और भाई भतीजावाद के आरोपों के बाद यद्यपि सरकार ने जांच बैठाकर इसकी सच्चाई को सामने लाने का एलान किया है, पर विपक्षी दल सरकार पर उसकी भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति को जमकर निशाने पर ले रहे हैं। पिछले पांच साल के दौरान भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस पर अंगुलियां उठती रही। ताजा भर्ती का कथित गड़बड़झाला वर्ष 2020 के दौरान शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया से ही जुड़ा है।

वहीं यह भी यह उल्लेखनीय है कि निवर्तमान भाजपा सरकार में भी सहकारिता मंत्रालय डॉ. धन सिंह रावत के ही जिम्मे रहा। ऐसे में जांच की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए विपक्षी दल विभागीय मंत्री को भी बदलने की मांग कर रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सहकारी बैंक भर्ती घपले में सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए विधानसभा की सर्वदलीय जांच कमेटी बनाने तक की मांग करने के साथ ही विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को तत्काल पद से हटाने की पैरवी भी कर डाली है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार इस भर्ती घोटाले के मुख्य सूत्रधारों को बचाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि भर्तियों में घोटाले का मामला पहले ही सामने आ गया था, इसके बाद नियुक्तियों पर रोक लगाई गई थी, लेकिन सहकारी बैंकों के प्रबंधकों ने सरकारी आदेश को ताक पर रखकर नया खेल खेला और इस भर्ती घोटाले को अंजाम दिया। पार्टी का कहना है कि इस घोटाले के साथ इसकी भी जांच होनी चाहिए कि ये सब किसके इशारे पर किया गया। कांग्रेस के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सरकार पर जोरदार प्रहार करते कहा कि सहकारी बैंक घपले ने भाजपा के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के दावे की कलई खोल दी है। मामले की विश्वसनीय जांच के लिए गोदियाल केंद्रीय स्तर पर बनने वाली संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) की तर्ज पर विधानसभा की संयुक्त कमेटी बनाकर जांच करने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस समिति में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, निर्दलीय सभी विधायकों को शामिल किया जाए। उत्तराखंड क्रांति दल के केन्द्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा है कि घोटाले में निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कर दाषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि अन्य विभागों ने ऐसा फर्जीवाड़ा न हो।

भर्ती घोटाले के आरोप क्यों लग रहे?

पिछले दिनों सहकारिता विभाग की ओर से जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के 423 पदों के लिए की गई भर्ती परीक्षा के देहरादून, पिथौरागढ और ऊधमसिंह नगर तीन जिलों की ओर से परिणाम जारी किए गए। भर्ती में सफल नहीं हो पाए अभ्यर्थियों के सफल अभ्यर्थियों की सूची देखने के बाद से ही भाई-भतीजावाद और घपले-घोटाले के आरोप लग रहे हैं। मामले में विवाद उठने के बाद अन्य जिलों के परिणाम को रोक दिया गया है। जो सूचना कई चुने गए अभ्यर्थियों के सहकारी विभाग में कार्यरत कार्मिकों से रिश्ते-नातों के बारे में आ रही है वह चौंकाने वाली भी है। विभिन्न पदों पर बैठे कई अधिकारियों ने इस विकराल बेरोजगारी के दौर में विभाग को अपनों को ही रोजगार बांटने का जरिया बना दिया। चेयरमैन, निदेशक और प्रबंधक जैसे पदों पर बैठे लोगों के बच्चों को उसी विभाग में चपरासी बनने में भी गुरेज नहीं है। बताया जा रहा है कि सहकारी संघ के एक चेयरमैन का भतीजा, उत्तरकाशी जिले के एक अधिकारी का पुत्र, पिथौरागढ़ के एक चेयरमैन के छोटे भाई की पत्नी, जिला सहकारी कार्यालय में तैनात एक कर्मचारी का पुत्र और देहरादून में तैनात एक संविदा कर्मचारी की पत्नी सहित कई नाम सामने आए हैं। विभागीय अफसरों ने अपनों को पद बांटने का बेशर्मी से इंतजाम किया, जबकि कई अन्य अभ्यर्थी ठगे गए। इस भाई-भतीजाबाद के खेल में तमाम नेताओं और अफसरों का नाम भी सामने आ रहा है, हालांकि अभी जांच के परिणाम का इंतजार है। आखिर भर्ती में घपले की शिकायतों का सिलसिला कैसे शुरू हुआ? इस बारे में विभाग के ही अधिकारियों में कानाफूसी है कि कुछ नेताओं के रिश्तेदारों का चयन नहीं हुआ तो उन्होंने दूसरे नेताओं को साथ लेकर मुख्यमंत्री से मिलकर इस मामले में शिकायत कर दी, जबकि वे खुद अपने रिश्तेदारों को चयनित कराए जाने को लेकर सिफारिश लगवा रहे थे। इधर जांच में यह भी सामने आ रहा है कि भर्ती में विवाद को देखते हुए देहरादून जिला सहकारी बैंक में हुई चतुर्थ श्रेणी भर्ती में परिणाम जारी करने से पहले सहकारिता विभाग की ओर से निगरानी के लिए तीन वरिष्ठ अधिकारियों की टीम बनाई गई थी, पर वे भर्ती के परिणाम में गड़बड़ी नहीं पकड़ सके। अब ये भी सवाल है कि गड़बडिय़ों के सुरक्षित उनकी नजरों के सामने से गुजर जाने में कोई मानवीय चूक हुई है या इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है। इसके बाद ही देहरादून में 60 अभ्यर्थियों का परिणाम जारी कर दिया गया और इनमें से 57 की ज्वाइनिंग भी करा दी गई। ज्वाइनिंग के बाद भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़झाले पर बवाल उठ गया।

घपले का आकार बड़ा होने की आशंका

अभी तो सहकारी बैंक की ग्रुप डी के पदों पर भर्ती के मामले में मात्र तीन जिलों का रिजल्ट जारी किया गया है, तब चौंकाने वाले कई मामले सामने आए हैं, वहीं अन्य जिलों की आगे की प्रक्रिया पर रोक के बाद जांच शुरू हो गई। ऐसी हालत में यदि पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच की जाए तब उसमें कई और असामान्य बातें सामने आ सकती हैं। जांच शुरू होने के बाद से ही सहकारी बैंक के अधिकारियों में हड़कंप है। गड़बड़ी में संलिप्त लोग जांच को बाधित करने से भी बाज नहीं आ रहे। इसकी बानगी 5 अप्रैल को देहरादून जिला सहकारी बैंक में जांच दल के पहुंचने पर दिखाई दी। जांच दल के बैंक में पहुंचने से पहले ही अनुभाग अधिकारी को घपले में संलिप्त अधिकारियों ने वहां से भगा दिया था। एक बार बाहर जाकर अमित शर्मा जांच दल के सामने नहीं लौटा, जिसके बाद जांच दल ने अनुभाग अधिकारी अमित शर्मा को निलंबित कर दिया। सहकारी बैंकों की आड़ में भ्रष्टाचार और गबन के खेल होना कोई नई बात नहीं है। पिछले साल, अगस्त 2021 में ऊधमसिंहनगर जिला सहकारी बैंक की मझोला शाखा में करीब डेढ करोड़ के एफडी व आरडी घोटाले का मामला खुला था। वर्ष 2021 में ही जिला सहकारी बैंक हरिद्वार में हुई भर्ती का प्रकरण सुर्खियों में था। इससे पहले वर्ष 2016-17 में भर्तियां हुईं थीं। तब भी हरिद्वार और अल्मोड़ा जिले में हुई भर्तियों के मामले में विवाद हुआ था, जो अब भी कोर्ट में विचाराधीन है। हरिद्वार जिला सहकारी बैंक में चतुर्थ श्रेणी और गार्ड के पदों के लिए भर्ती हुई थी। इस भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमिततता की शिकायतें मिली। इस मामले में चयन समिति पर सबसे अधिक सवाल उठे जिसने 979 लोगों को साक्षात्कार में शून्य अंक दिए। नियम के अनुसार साक्षात्कार में अधिकतम नौ अंक और न्यूनतम तीन अंक दिए जाने का प्रावधान है। इससे कम और ज्यादा अंक देने पर चयन समिति को उसका कारण बताना पड़ता है। इतनी बड़ी संख्या में अभ्यथियों के शून्य अंकों पर सवाल उठना लाजिमी है। अब इस साल तीन जिलों में सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती में घपले के आरोप हैं। सहकारिता विभाग पर पिछले तीन सालों में बैकडोर से 250 से 300 संविदाकर्मियों को नियमित करने के भी आरोप लग रहे हैं। इस मामले की भी जांच की जरूरत है।

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