संवाददाता /देहरादून
देहरादून शहर से वाया नेहरू कॉलोनी, रायपुर होते हुए भानियावाला, जोलीग्रांट जैसी महत्वपूर्ण जगहों पर न्यूनतम समय में आवागमन के लिए जब मोटर रोड का निर्माण हुआ तब किसे पता रहा होगा कि शहर के वासिंदों के पानी, बिजली, डिस्पेंसरी, स्कूली शिक्षा, गलियों, नालों, आवागमन के साधन की व्यवस्था के लिए जिम्मेदार देहरादून नगर निगम एक दिन अपने तुगलकी निर्णय से द्रुत आवागमन के लिए बनाई गई इस सड़क पर ही बोटल नेक जैसे जगह के निर्माण में भागीदार बनेगा।
नगर निगम ने इस कारनामे को रिंग रोड की 6 ंनंबर पुलिया पर अंजाम दिया है। आज से दो साल पहले नगर निगम ने चौराहे से नेहरू कॉलोनी की ओर जाती सड़क पर एक ओर 15 फीट की चौड़ी पट्टी में करीब 95 ठेलियों को स्थाई तौर पर बाजार लगाने की इजाजत दे दी। विशेष प्रकार की इन ठेलियों के लिए नगर निगम ने हर विक्रेता से करीब सवा लाख रुपए किश्तों में वसूलने का फार्मूला अपनाया। अवैध सब्जी मंडी को वैधता देने के साथ नगर निगम की इनसे आय भी होने लगी है।
अब यातायात के लिहाज से व्यस्त इस चौराहे से सटी सब्जी मंडी के सामने सड़क की दूसरी ओर फुटपाथ पर भी अवैध तौर पर कई दुकानें सजने लगी हैं। व्यस्त समय में ट्रैफिक जाम लगना यहां आम बात हो चुकी है। भले ही नगर निगम की कमाई हो रही है पर सुगम यातायात पर ब्रेक लगाने को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।
सबसे हैरानी इस बात की है कि हाईकोर्ट द्वारा सरकार को देहरादून की सड़कों से अवैध कब्जे हटाने के निर्देश की भी निगम ने इस मामले में कोई परवाह नहीं की है। अन्य विभाग की जमीन को कब्जे में लेकर निगम ने पथ बाजार को नियमित करने का श्रेय जरूर लिया पर हकीकत है कि उसके बाद भी अवैध कब्जे बढते जा रहे हैं। निगम इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता। सवाल ये है कि अब निगम नए अवैध कब्जों पर भी मेहरबान होगा या उनके खिलाफ कोई कार्यवाही करेगा।