दून विनर /देहरादून। कैबिनेट मंत्री व कोटद्वार विधायक डॉ. हरक सिंह रावत इस बार सीट को लेकर बुरे फंस गए लगते हैं। हरक ने भाजपा के शीर्ष नेताओं से गुहार लगाकर उन्हें कोटद्वार सीट को छोड़कर किसी अन्य सीट पर टिकट देने को कहा है। उन्होंने मीडिया में ये बयान दिया है। उन्होंने डोईवाला, केदारनाथ, गंगोत्री और लैंसडौन सीटों को अपनी पसंद की सीट भी बताया है। इनमें से किसी भी सीट पर हरक चुनाव लड़ लेंगे पर कोटद्वार से छुटकारा चाहते हैं। विगत विधानसभा चुनाव में कोटद्वार सीट पर हरक सिंह रावत ने कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह नेगी को 11 हजार से भी अधिक मतों से मात दी थी।
समय-समय पर सरकार और संगठन पर दबाव बनाने के लिए कोपभवन का इस्तेमाल करने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के ताजा कोपभवन की वजह कोटद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए बजट आवंटित करने में हो रही देरी होना बताई गई। उनके मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी देने से सरकार और संगठन में खलबली मची। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आनन-फानन में 25 करोड़ का आवंटन भी मंजूर कर दिया। इसके बाद हरक का मीडिया में बयान आया कि वे कोटद्वार से चुनाव नहीं लडऩा चाहते।
पिछले एक-डेढ साल से डॉ. हरक सिंह रावत के तेवरों से सरकार और भाजपा में कई बार हड़कंप मचा है। उन्हें भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर वे तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ हो गए थे।ं श्रम मंत्री की बोर्ड के नए अध्यक्ष सत्याल से भी कभी नहीं बनी। खिन्न होकर हरक ने कह दिया कि वे चुनाव नहीं लडऩा चाहते। पिछले दिनों ही सत्याल को हटाया गया और आइएएस अधिकारी को श्रमिक कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, इसके बाद ही मुश्किल से श्रम कल्याण बोर्ड की ये खींचातान रुक पाई। इस अक्टूबर से हरक दा ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से घोषित रूप से नजदीकी बढानी शुरू की। अपने राजनीतिक विरोधी के प्रति उनके यकायक हुए इस हृदय परिवर्तन ने भी पार्टी को काफी शंकित किया। फि र उन्होंने कहा कि वे इस बार सरकार में मंत्री के तौर अपने कार्यकाल को पिछले कार्यकालों की तुलना में असंतोषजनक मानते हैं। माना गया कि यह उनका विकास को समर्पित सरकार के दावे पर करारा प्रहार था।
समय-समय पर सरकार और संगठन पर दबाव बनाने के लिए कोपभवन का इस्तेमाल करने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के ताजा कोपभवन की वजह कोटद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए बजट आवंटित करने में हो रही देरी होना बताई गई। उनके मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी देने से सरकार और संगठन में खलबली मची। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आनन-फानन में 25 करोड़ का आवंटन भी मंजूर कर दिया। इसके बाद हरक का मीडिया में बयान आया कि वे कोटद्वार से चुनाव नहीं लडऩा चाहते।
पिछले एक-डेढ साल से डॉ. हरक सिंह रावत के तेवरों से सरकार और भाजपा में कई बार हड़कंप मचा है। उन्हें भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर वे तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ हो गए थे।ं श्रम मंत्री की बोर्ड के नए अध्यक्ष सत्याल से भी कभी नहीं बनी। खिन्न होकर हरक ने कह दिया कि वे चुनाव नहीं लडऩा चाहते। पिछले दिनों ही सत्याल को हटाया गया और आइएएस अधिकारी को श्रमिक कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, इसके बाद ही मुश्किल से श्रम कल्याण बोर्ड की ये खींचातान रुक पाई। इस अक्टूबर से हरक दा ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से घोषित रूप से नजदीकी बढानी शुरू की। अपने राजनीतिक विरोधी के प्रति उनके यकायक हुए इस हृदय परिवर्तन ने भी पार्टी को काफी शंकित किया। फि र उन्होंने कहा कि वे इस बार सरकार में मंत्री के तौर अपने कार्यकाल को पिछले कार्यकालों की तुलना में असंतोषजनक मानते हैं। माना गया कि यह उनका विकास को समर्पित सरकार के दावे पर करारा प्रहार था।