दून विनर /संवाददाता
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की 11 प्रत्याशियों की 24 जनवरी को जारी हुई दूसरी सूची में पार्टी के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम रामनगर सीट पर आते ही वहां से पार्टी टिकट के लिए तैयारी कर रहे रंजीत रावत के समर्थकों ने हरीश रावत का विरोध करना शुरू कर दिया है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की 11 प्रत्याशियों की 24 जनवरी को जारी हुई दूसरी सूची में पार्टी के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम रामनगर सीट पर आते ही वहां से पार्टी टिकट के लिए तैयारी कर रहे रंजीत रावत के समर्थकों ने हरीश रावत का विरोध करना शुरू कर दिया है।
बताया जाता है कि देर रात रंजीत रावत के साथ उनके समर्थकों की आनन-फानन में बैठक हुई। इस बैठक में कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे रंजीत रावत के साथ खड़े हैं, उन्होंने हरीश रावत को रामनगर से प्रत्याशी बनाने के फैसले पर नाखुशी जताई। हालांकि वायरल हुए एक वीडियो में रंजीत रावत को कहते सुना जा रहा है कि वे अगला कदम कार्यकर्ताओं को भरोसे में लेकर ही उठाएंगे।
जाहिर है रंजीत रावत कूटनीतिक भाषा का इस्तेमाल कर अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं। संभवतः उन्हें पार्टी से विकल्प का इंतजार है क्योंकि अभी सल्ट सीट को लेकर भी कांग्रेस के प्रत्याशी का चयन होना है। अगर बात नहीं बनी तब यह प्रबल संभावना है कि वे इस बार रामनगर सीट से ही निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
इस स्थिति में हरीश रावत के लिए अपनी सीट निकालने के लिए ही काफी मशक्कत करनी होगी जबकि स्टार प्रचारक होने के नाते पार्टी प्रत्याशी कई सीटों पर हरीश की मौजूदगी की मांग कर सकते हैं। इससे पहले वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के चुनाव कम्पैनिंग के केन्द्र बिन्दु रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूड़ी कोटद्वार सीट से चुनाव हार गए थे, हालांकि माना जाता है कि उनको दुबारा मुख्यमंत्री बनाए जाने से भाजपा का चुनावी ग्राफ काफी बढा था। इस चुनाव में खंडूड़ी की हार की बड़ी वजह ये रही कि वे अन्य सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों के प्रचार में व्यस्त रहने से खुद अपनी सीट पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे सके जबकि पार्टी के टिकट से वंचित किए गए पूर्व विधायक ने खंडूड़ी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। रंजीत रावत को पार्टी अन्यत्र व्यस्त करने में सफल नहीं होती है तो वे हरीश रावत के लिए मुसीबत भी खड़ी कर सकते हैं।
भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे के चुनावी मुकाबले में एक सीट पर भी कामयाबी का हाथ से जाना किसी पार्टी के सत्ता में बैठने के सपने चकनाचूर कर सकता है।