दून विनर संवाददाता/देहरादून।
देहरादून शहर की बस्तियों में गलियों की सड़कों पर सिर को छूते लटकते केबिल कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। जिला प्रशासन केबल ऑपरेटरों की इस मनमानी पर लगाम नहीं लगा पाया है। बिजली के खंभों पर कई केबिल लगे हैं।

बिजली के तारों के साथ-साथ चलते ये केबिल पक्षियों की उड़ान में भी बाधा पहुंचा रहे हैं। कई बार केबिल ऑपरेटर लाइन की मरम्मत करते केबिल को बेहद ढीला और जमीन को छूता हुआ छोड़ देते हैं। यह हालत कई-कई दिनों तक रहती है। यूपीसीएल ने कई बार अपने खंभों से केबिल हटाने के अभियान भी चलाए किन्तु फिर भी केबिलं के बेतरतीब जाल में अंतर नहीं आया। आधी-अधूरी कवायद करने के अलावा बिजली के खंभों पर केबिल इस्तेमाल का किराया वसूलने के लिए भी यूपीसीएल ने अभी तक कोई कारगर नियम बनाकर कार्यान्वित नहीं किए।
एक आंकलन के मुताबिक पूरे प्रदेश में यूपीसीएल के करीब साढे सोलह लाख बिजली के खंभे हैं। पूरे प्रदेश के पैमाने पर अच्छी-खासी संख्या में इन खंभों का उपयोग केबिल लाइन खींचने के लिए हो रहा है। यदि इनका इस्तेमाल करने के लिए केबिल ऑपरेटर से यूपीसीएल किराया वसूलने में कामयाब होता है तो इससे एक तरफ यूपीसीएल की आय बढेगी और साथ ही बिजली के खंभों पर केबिल के तार लगाने के लिए मानक भी तय किए जा सकेंगे और रिकाॅर्ड उपलब्ध होने पर निगरानी भी आसान होगी।