देहरादून। पवित्र धाम हेमकुंड साहिब धाम के कपाट इस साल करीब सवा माह बाद बंद कर दिए जायेंगे। गुरुद्वारा ट्रस्ट के पदाधिकारियों की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है। इस साल धाम के कपाट बीस मई को खुले थे। जिसके बाद अब तक करीब सवा दो लाख दर्शनार्थी हेमकुंड साहिब धाम के दरबार साहिब की यात्रा पर पहुंच चुके हैं। अभी भी श्रद्धालुओं के हेमकुंड साहिब पहुंचने का सिलसिला जारी है। श्री हेमकुंड साहिब धाम के कपाट बंद करने के लिए गुरुद्वारा ट्रस्ट के सभी ट्रस्टों के बीच एक दिवसीय बैठक में प्रशासन से विचार विमर्श के बाद निर्णय लिया गया कि हेमकुंड साहिब धाम के कपाट इस वर्ष 11 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे बंद कर दिए जाएंगे।
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि इस साल श्री हेमकुण्ट साहिब जी की यात्रा 20 मई 2023 से आरंभ की गई थी। कपाट खुलने के समय भारी बर्फबारी, बदलते मौसम और बारिश के बावजूद अब तक लगभग 2,27,500 श्रृद्धालुओं ने गुरु दरबार में हाजिरी भरी व मत्था टेकने का सौभाग्य प्राप्त किया। यात्रा समापन के संबंध में गुरूद्वारा ट्रस्ट के माननीय ट्रस्टीयों द्वारा विगत दिवस एक बैठक की गई तथा प्रशासन से विचार-विमर्श करके यह निर्णय लिया है कि श्री हेमकुण्ड साहिब जी के कपाट इस वर्ष 11 अक्टूबर 2023 को दोपहर 01:00 बजे बंद करने के साथ ही यात्रा का समापन कर दिया जाएगा |
जुलाई व अगस्त माह में राज्य में यात्रा में गिरावट देखी गई जबकि अब मौसम खुलने से तीर्थयात्रियों का आवागमन बढ़ गया है। ब्रह्मकमल फूलों की एक प्रजाति है जो कि बहुत पवित्र मानी जाती है और केवल हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। इस समय कई प्रजातियों के फूल खिले हुए हैं जो हेमकुंड घाटी की शोभा बढ़ा रहे हैं। फूलों की घाटी में पाए जाने वाले फूल इस समय हेमकुण्ट घाटी में भी अपनी मनमोहन छटा बिखेर रहे हैं।
गुरुद्वारा ट्रस्ट ने सभी तीर्थयात्रियों से अनुरोध किया है कि जो भी श्रद्धालु श्री हेमकुण्ड साहिब जी की यात्रा करना चाहते हैं। वह अपना कार्यक्रम शीघ्र बना लें क्योंकि कपाट बंद होने में कम समय रह गया है। आने वाले यात्रियों की सुविधा हेतु गोविंद घाट से घांघरिया तक हेलीकॉप्टर सेवाएं भी पुन: शुरू कर दी गई हैं।
जैसा कि अवगत ही है कि ट्रस्ट द्वारा यात्रा का प्रबंध किया जाता है। हरिद्वार से आगे के मार्ग में ट्रस्ट के सभी गुरुद्वारों व धर्मशालाओं में लंगर व रात्रि विश्राम की सुविधाएं हैं। तीर्थयात्रियों की बढ़ती आमद को ध्यान में रखते हुए तथा गोविंद घाट से रोपवे चालू होने के बाद कई गुना यात्रा वृद्धि की उम्मीद करते हुए गुरुद्वारा ट्रस्ट अब रतूड़ा गांव (जिला रूद्रप्रयाग) में एक गुरूद्वारा व धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है, जो कि ऋषिकेश से गोविंद घाट के बीच में होगा।