पहलगाम में आतंक का तांडव हुआ घमासान।
सिंदूर को खो देना माँ-बहन के लिए नहीं था आसान॥
धर्म के नाम पर मृत्यु देख कराहती इंसानियत।
बेगुनाह मासूमों पर बरसाई गई थी हैवानियत॥
वह परिदृश्य जब भी होता किसी भारतीय के समक्ष जीवंत।
हर देश प्रेमी कहता करों आतंकवाद का जड़ से अंत॥
सिंदूर को उजड़ता देख हर भारतीय का मन हुआ व्यथित।
राष्ट्र कल्याण के लिए सबको बनाना होगा मन पावन पतित॥
मानवता के इतिहास में यह था कायरतापूर्ण कार्य।
दुश्मन को सबक सिखाना था अब अनिवार्य॥
सिंदूर खोने वाली माताओं की सुनकर करुण पुकार।
हर भारतवासी के मन में थे प्रतिशोध के अंगार॥
इस सिंदूर के विनाश ने दिया पुनः बारूद को जन्म।
सेना ने घर में घुसकर तोड़ा आतंकियों का भ्रम॥
सेना के द्वारा लक्ष्य केन्द्रित स्थानों पर किया गया प्रहार।
भारत माँ के सपूतों की महिमा है अपरंपार॥
ऑपरेशन सिंदूर ने रचा भारत के यश और गौरव का गान।
शहीदों के शौर्य, प्रेम, बलिदान से रहेगा मेरा भारत सदैव महान॥
भारतीय सेना तो सदैव करती है सिंह सी ललकार।
जो सदैव दिलाती भारत माता को जय-जयकार॥
भारत की एकता, अखंडता को रखना है सुरक्षित।
धर्म, जाति-पाति के भेदभाव से न होंगे हम भ्रमित॥
ऑपरेशन सिंदूर बना भारत की सैन्य शक्ति का दृढ़ परिचायक।
डॉ. रीना कहती, राष्ट्र की सुरक्षा में हम सदैव होंगे सहायक॥
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)