देहरादून। भाजपा ने सदन में आपदा पीड़ितों पर मरहम लगाने के बजाय कांग्रेस विधायकों द्वारा किए हंगामे और तोड़फोड़ को शर्मनाक एवं दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने आपदा राहत एवं बचाव कार्यों पर कहा कि मुख्यमंत्री धामी देश के पहले सीएम हैं जो ग्राउंड जीरो पर 3 दिन तक रहे और जमीनी आकलन किया। मुहवाजे और पुनर्वास को लेकर सीएम और पीएम मोदी की वार्ता हो गई है, फिलहाल रेस्क्यू की तरह प्रभावितों को सबसे अच्छी मदद भी हमारी सरकार समय कर रही है। लेकिन विपक्ष संवेदनहीन, गैरजिम्मेदाराना और व्यक्तिगत स्वार्थ का रवैया अपना रहा है।
पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि संसदीय परंपरा में किसी भी राजनीतिक दल को संवैधानिक विषय के मद्देनजर अपनी बात सदन में रखने का पूरा अधिकार है। लेकिन किसी भी राजनीतिक दल या उसके चुने हुए प्रतिनिधि को सरकार की संपत्तियों को नष्ट करना या सदन में अमर्यादित भाषा का प्रयोग करना। यह पूरी तरह से गैरजिम्मेदाराना है और ऐसे में कोई भी पार्टी ऐसे कृत्य को करती है उसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है। पूरे प्रदेश की जनता देख रही है कि किस तरह इस तरह इस प्रदेश में अराजकता का माहौल पैदा करने की कांग्रेस कोशिश कर रही है। पार्टी की राय है कि जो भी मर्यादित है और लोकतांत्रिक परंपराओं का अनादर कर रहा है और जो संविधान के रक्षक के बजाय भक्षक बन जाए, वो कहीं ना कहीं प्रजातंत्र के लिए चुनौतियां खड़े कर रहा है।
उन्होंने कांग्रेस विधायकों के हंगामे को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रदेश आपदा से ग्रस्त है ऐसे सदन में पीड़ितों और प्रभावितों के पार्टी संवेदना जताने के बजाय असंवैधानिक रुख अपनाया गया। जिससे एक बार फिर स्पष्ट नजर आया कि आपदा से जूझ रही जनता के जख्मों पर मरहम लगाने को गैरसैण पहुंची सरकार जनता के हितों के प्रति गंभीर है। लेकिन विपक्ष को जनसरोकारों से कोई लेना देना नहीं बल्कि जनता के मुद्दे उठाने की बजाय व्यक्तिगत स्वार्थ तक ही केवल सीमित है।
वहीं आपदा राहत और मुआवजे को लेकर पूछे सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि आपका का जितना भी नुकसान प्रदेश को हुआ है उसका आकलन प्रदेश सरकार कर रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री धामी और प्रधानमंत्री मोदी की बातचीत हो चुकी है। प्रदेश में जितना भी नुकसान हुआ है चाहे व्यक्तिगत हो या सरकारी हो या सामाजिक सभी का आकलन करके हम हर यथा संभव पूर्ति करेंगे यह सरकार का वादा है। साथ ही साथ व्यक्तिगत तौर पर जो जनहानि हुई है या जिन लोगों को आपदा में कुछ चोट आई है या इलाज हो रहा है उसके लिए भी सरकार पर सहायता कर रही है। जो आवासीय मकान और कृषि भूमि खराब हुई है उसके लिए भी सरकार पूरे प्रयास कर रही है। हम यह कह सकते हैं कि इन 25 वर्षों में सबसे अधिक आपदा सहायता इस बार दी जा रही है।
वहीं कहा, सरकार ने बहुत स्पष्ट किया है कि कहीं भी किसी को लगता है कि सहायता देने में कोई दिक्कत हुई है या लापरवाही हुई है तो उसको संज्ञान में लेकर अधिकारियों को तत्काल निर्देश दिए जा रहे हैं। स्पष्ट निर्देश हैं कि आपदा में किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए और उसकी समस्या का समाधान तत्काल होना चाहिए। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि उत्तरकाशी में धारली में जब आपदा आई तो स्वयं मुख्यमंत्री ने वहां तीन दिन का कैंप किया। और तीन दिन तक घटनास्थल पर रहने वाले वे देश में पहले मुख्यमंत्री होंगे। वहां की जमीनी हकीकत और परिस्थितियों का आकलन से स्वयं मुख्यमंत्री ने किया है, लिहाजा मुआवजा और पुनर्वास को लेकर किसी को शक नहीं होना चाहिए।