अल्मोड़ा में स्थित चितई श्री गोलू देवता के मन्दिर में 10 जून को होगा विशाल भण्डारा

अल्मोड़ा में स्थित चितई श्री गोलू देवता के मन्दिर में 10 जून को होगा विशाल भण्डारा

अल्मोड़ा। देश-विदेश में न्याय के देवता के रूप में अगाध आस्था के चितई स्थित श्री गोलू देवता के मन्दिर में प्रत्येक वर्ष की भाँति जून माह के द्वितीय शनिवार को आयोजित होने वाला विशाल भण्डारा 10 जून शनिवार को मन्दिर परिसर में प्रातः श्री गोलज्यू की विशेष पूजा अर्चना एंव भण्डारे का भोग गोलज्यू को अर्पित करके आरम्भ होगा।

भण्डारे के आयोजक चितई के युवा व्यवसायी अतुल रूवाली ने गोलज्यू के भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में मन्दिर परिसर में पँहुचकर भण्डारे का प्रसाद ग्रहण करने की अपील की हैं। उन्होंने बताया कि विशाल भण्डारे के लिए तॆयारियाँ आरम्भ हो चुकी हैं, भण्डारा प्रातःकाल 8 बजे से सांयकाल तक चलेगा।

गोलू कुमाऊं के सर्वाधिक प्रतिष्ठा प्राप्त देवता

अन्य देवताओं की तरह गोलू भी हमारी शारीरिक, मानसिक बाधाओं को दूर कर अध्यात्मिक सुख देते हैं। गोलू को न्याय का देवता भी माना जाता है. गोलू कुमाऊं क्षेत्र के सर्वाधिक लोकप्रिय देवता हैं। लगभग पूरे कुमाऊं में गोलू देवता के मंदिर हर गाँव में हैं। गोलू देवता के तीन मंदिर घोड़ाखाल, चितई और चम्पावत के मंदिर सर्वाधिक लोकप्रिय और मान्यता प्राप्त हैं। चितई में गोलू देवता का मंदिर अल्मोड़ा से छह किलोमीटर की दूरी पर है। आकार में बहुत छोटा यह मंदिर समूचे कुमाऊं के अलावा देशभर के अन्य हिस्सों में भी श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर के निर्माण के ऐतिहासिक तथ्य तो नहीं मिलते इतना अवश्य है कि 1909 में इसका पुनर्निर्माण हुआ। चितई मंदिर के गर्भगृह में घोड़े पर सवार, हाथ में धनुष-बाण लिए गोलू देवता की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। इसमें गोलू देवता ने राजसी वस्त्र धारण किये हुए हैं। गोलू की प्रतिमा के अलावा यहां पर मां कलिंका तथा उनके सेवकों की प्रतिमाएँ भी हैं। गोलू के सेवक कलुवा मसाण की मूर्ति मंदिर के प्रवेशद्वार पर ही प्रतिष्ठित है। चितई में गोलू के प्रतिनिधि गौर-भैरव की भी पूजा की जाती है। अष्टकोणीय आकार का चितई मंदिर हजारों छोटी-बड़ी घंटियों से पटा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि गोलू भगवान को गोलू देवता के मंदिर में त्रिशूल व घंटियां चढाने से मनोकामनाएं पूर्ण हुआ करती हैं। कभी यहां मनोकामना पूर्ति के लिए बकरे की बलि दिए जाने की भी परंपरा थी। मंदिर के आंगन में बने धूनी कुंड के चरों ओर अनगिनत छोटे-बड़े त्रिशूल गड़े हुए हैं। चितई मंदिर के प्रांगण में बंधे तारों पर हजारों कागज के टुकड़े टंगे हुए हैं। इन कागजों में श्रद्धालुओं द्वारा न्याय की प्रार्थना की गयी है। इन अर्जियों में इच्छित मनोकामना पूर्ति पर चढ़ावा चढ़ाने के वचन भी लिखे रहते हैं।

 

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