* 14 अप्रैल को “आंदोलनकारियों को न्याय दिलाओ उत्तराखंड बचाओ” नारे के साथ सत्याग्रह का ऐलान राज्य भर में जलेंगे भाजपा सरकार के पुतले
देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने भाजपा सरकार के पिछले 3 सालों के कार्यकाल में लगातार राज्य आंदोलनकारियों के उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
धीरेंद्र प्रताप ने राज्य सरकार के तीन साल के कार्यकाल पर टिप्पणी करते हुए कहा “राज्य सरकार के 3 साल उत्तराखंड निर्माण आंदोलनकारी रहे बेहाल” और उत्तराखंड सरकार पर
0 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण, पेंशन वृद्धि तथा वंचित राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण के संबंध में सरकार के रवैया को दुर्भावना पूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि धामी सरकार द्वारा विगत दिनों राज्य आंदोलनकारियों को बहलाने के लिए और वोटो की खैर खेती पैदा करने के लिए कई तथाकथित उत्साहजनक घोषणाएं की गई जिसमें 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण तथा पेंशन वृद्धि के साथ साथ वास्तविक वंचितों के चिन्हीकरण पर राज्य आंदोलनकारियों को आपस लडाने और बहकाने के लिए कई घोषणा की। लेकिन बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि राज्य निर्माण के रजत जयंती वर्ष में राज्य आंदोलनकारियों की घोर उपेक्षा करते हुए सरकार द्वारा वर्तमान तथा पूर्व विधायकों की पेंशन एक झटके में 20 हजार रुपए बड़ा दी गई तथा आपात काल में जेल गए भाजपा के समस्त नेताओं को पूर्व से ही 20 हजार पेंशन जनता के कोष से दी जा रही है लेकिन आंदोलनकारियों को अलग अलग खेमों में बांटकर उनको हतोत्साहित करने 10 प्रतिशत आरक्षण जो कि राजभवन से विधिवत पारित हो चुका है उसके बावजूद भी विरोधी पक्ष द्वारा उसकी वैधता को चुनौती देने के कारण सरकार की उदासीनता के कारण मामला 6 माह से हाइकोर्ट में लंबित है तथा आंदोलनकारी 12 हजार परिवारों में उपरोक्त के संबंध में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि न्यायालय में लंबी सुनवाई की स्थिति में राज्य आंदोलनकारियों को क्या वास्तव में लाभ मिलेगा या नहीं , यह एक दिवा स्वप्न बन चुका है चुकी पूर्व आंदोलनकारी कोटे के परिवारों को न्यायालय की रोक के कारण नियुक्तियां नहीं मिल रही जिससे संघर्षशील राज्य आंदोलनकारी परिवारों के बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है। सरकार द्वारा एक्ट पारित करने का राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर पुनः न्यायालय की रोक के कारण आंदोलनकारी परिवारों में उहापोह की स्थिति बनी हुई हैं । राज्य सरकार 12 हजार राज्य निर्माण में संघर्षशील परिवारों न्याय दिलाने मैं पूरी तरह विफल रही है। यही नहीं सरकार ने राजा आंदोलनकारी की पेंशन में ₹1 का भी इजाफा करना उचित नहीं समझा।
उन्होंने सरकार से संवेदनशीलता का परिचय देने तथा समस्याओं का समाधान निकालने की मांग की है और चेतावनी दी है यदि सरकार ने 3 सप्ताह के भीतर राज्य आंदोलनकारियों की समस्याओं का समाधान ना किया तो 14 अप्रैल को बाबा साहब अंबेडकर की जयंती के अवसर पर राज्य आंदोलनकारी राज्य भर में “आंदोलनकारियों को न्याय दिलाओ -उत्तराखंड बचाओ” के नारे के साथ सत्याग्रह करेंगे और राज्य भर में भाजपा सरकार के पुतले जलाए जलाएंगे।
उन्होंने वंचित आंदोलनकारी के मामले में भी सरकार की उदासीनता का आरोप लगाया और उत्तराखंड और दिल्ली समेत मुंबई चंडीगढ़ बहादुरगढ़ मेरठ फरीदाबाद रोहतक गाजियाबाद के हजारों वंचित आंदोलनकारियों के तत्काल चीन्हिकरण की मांग की।